बच्चों में कुपोषण: जागरूकता और उपचार की आवश्यकता बढ़ी
बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, जो न केवल शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है, बल्कि शिशु मृत्यु दर को भी बढ़ाती है। इसके प्रभावी प्रबंधन से शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है।
केटी न्यूज/छपरा
बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, जो न केवल शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है, बल्कि शिशु मृत्यु दर को भी बढ़ाती है। इसके प्रभावी प्रबंधन से शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है। जिले में चिकित्सकीय जटिलता वाले अति गंभीर कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) संचालित किया जा रहा है। यह केंद्र सदर अस्पताल परिसर में स्थित है, जहां कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है।
हालांकि, हाल के महीनों में केंद्र में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार बच्चों की भर्ती में कमी आई है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए एक चुनौती बन गई है। समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जा सके और उन्हें कुपोषण के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके। वर्तमान में, पोषण पुनर्वास केंद्र में 20 बेड की क्षमता है, लेकिन अभी केवल 9 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं। इन बच्चों का उपचार चल रहा है, जबकि ज्यादातर बच्चे सदर प्रखंड, जलालपुर और रिविलगंज से रेफर होकर आ रहे हैं। अन्य प्रखंडों से बच्चों की संख्या कम है, जिसे बढ़ाना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता है।
कुपोषण का महत्व
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार के अनुसार, कुपोषण को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है: सामान्य कुपोषण और अति गंभीर कुपोषण। सामान्य कुपोषित बच्चों को उचित पोषण देकर ठीक किया जा सकता है, जबकि अति गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों की मृत्यु दर सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुना अधिक होती है। इसलिए, सामुदायिक स्तर पर आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा इन बच्चों की स्क्रिनिंग की जाती है। आशा कार्यकर्ता इन बच्चों को एएनएम या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर भेजकर पोषण पुनर्वास केंद्र में रेफर करते हैं और डिस्चार्ज के बाद फॉलो-अप भी करते हैं।
एनआरसी की इंचार्ज पुष्पा कुमारी ने बताया कि कुपोषित बच्चों और उनकी माताओं को आवासीय सुविधा प्रदान की जाती है, साथ ही पौष्टिक आहार की व्यवस्था भी की जाती है। बच्चों को 14 से 21 दिन तक रखा जा सकता है, और यदि बच्चे का वजन बढ़ने लगता है, तो उन्हें 21 दिन से पहले भी डिस्चार्ज किया जा सकता है। बच्चों को एफ-100 मिक्स डाइट और विभिन्न पौष्टिक आहार जैसे खिचड़ी, दलिया, चुकंदर, और अंडा दिया जाता है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में 0 से 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है। भर्ती के लिए बच्चों का वजन, हाइट, और एमयूएसी जांच के माध्यम से उनकी स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से कुपोषण के प्रभावों को नियंत्रित किया जा रहा है और बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य की ओर अग्रसर किया जा रहा है।