कुपोषण के खिलाफ अभियान: पोषण पुनर्वास केंद्र में 288 बच्चों का सफल उपचार

जिले में कुपोषण की दर को कम करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। खासतौर पर, कुपोषित बच्चों के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन किया जा रहा है।

कुपोषण के खिलाफ अभियान: पोषण पुनर्वास केंद्र में 288 बच्चों का सफल उपचार

केटी न्यूज/छपरा

सारण। जिले में कुपोषण की दर को कम करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग द्वारा विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। खासतौर पर, कुपोषित बच्चों के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) का संचालन किया जा रहा है। इस केंद्र में कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उन्हें सुपोषित करने के लिए उपचार किया जाता है।

सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया है, जिसमें सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। डॉ. सिन्हा ने निर्देशित किया है कि कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए ओपीडी, आईपीडी और आरोग्य दिवस पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके तहत, अस्पताल में आने वाले बच्चों की स्क्रिनिंग को मजबूत किया जाएगा, ताकि कुपोषित बच्चों की सही पहचान की जा सके।

इस प्रक्रिया में, चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा रेफर किए गए सैम (सीमांत कुपोषित) बच्चों के परामर्श और भर्ती में फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर सहायता प्रदान करेंगे। एनआरसी में कार्यरत स्टाफ नर्स और फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर नियमित रूप से ओपीडी, आईपीडी और इन्फैंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग काउंसलिंग सेंटर पर आने वाले कुपोषित बच्चों को प्रोटोकॉल के अनुसार एनआरसी में भर्ती कराने की प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा, ओपीडी में स्क्रिनिंग से आने वाले बच्चों का डेटा संधारित किया जाएगा और इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी।

सिविल सर्जन ने आशा कार्यकर्ताओं को भी निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने के लिए उनका उन्मुखीकरण सुनिश्चित करें। आशा कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें सुपोषित करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगे। डॉ. सिन्हा ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल 10 से 15 प्रतिशत अति गंभीर कुपोषित बच्चों को संस्थागत देखभाल की आवश्यकता होती है, जबकि 90 प्रतिशत बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से ही स्वस्थ हो सकते हैं।

इस संदर्भ में जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी और पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि पिछले दो साल में पोषण पुनर्वास केंद्र में 288 कुपोषित बच्चों का सफल उपचार किया गया है। अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 155 और अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 133 कुपोषित बच्चों का इलाज किया गया।

उन्होंने यह भी बताया कि सारण जिले का प्रदर्शन राज्य के अन्य 23 जिलों की तुलना में काफी बेहतर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग की रणनीतियाँ प्रभावी सिद्ध हो रही हैं। इन प्रयासों के माध्यम से, जिले में कुपोषण की दर को कम करने और बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य देने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है।