सही मूल्य पर खाद नहीं मिलने से किसान हुए परेशान, अधिकारियों से लगाई गुहार
खाद का उचित मूल्य 266 रूपया है, लेकिन बाजार में 300 से 320 में बिक रहा है। किसानों का कहना है कि समय से नहरों में पानी नहीं आया, जिससे बिचड़ा डालने में परेशानी हो रहा है। अभीतक नहरें सूखी पड़ी हुई हैं, जिससे किसानों को बिचड़ा में और खेतों की जुताई के लिये पानी खरीदना पड़ रहा है। अब खाद की कालाबाजारी ने उनकी कमर को तोड़ दिया है।

केटी न्यूज, डुमरांव।
खाद का उचित मूल्य 266 रूपया है, लेकिन बाजार में 300 से 320 में बिक रहा है। किसानों का कहना है कि समय से नहरों में पानी नहीं आया, जिससे बिचड़ा डालने में परेशानी हो रहा है। अभीतक नहरें सूखी पड़ी हुई हैं, जिससे किसानों को बिचड़ा में और खेतों की जुताई के लिये पानी खरीदना पड़ रहा है। अब खाद की कालाबाजारी ने उनकी कमर को तोड़ दिया है।
कई किसानों ने बताया की सही रेट पर खाद दुकान से मांगने पर नहीं देते और भगा देते हैं। इस संबंध में जब खाद बिक्रेताओं से पूछ गया तो उन्होंने अपना नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया की रेक प्वाइंट से ही दाम की कीमत में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है। उन्हें रेक प्वाइंट से ही 270 रूपया के साथ गोदाम तक लाना पड़ता है, उसमें भाड़ा का खर्च जोड़ दिया जाए तो खाद प्रति बोरा कितना बैठेगा इसका सही अनुमान लगाया जा सकता है। इनका कहना है कि गोदाम तक खाद को पहुंचाना होता है,
लेकिन स्टॉकिस्ट अपने बूते उसे रेक प्वाइंट से उठाकर गोदाम तक लाते हैं। फिर डीलर को इनके द्वारा सप्लाई दी जाती है, तो जाहिहर सी बात है जो रेट है, उस पर नहीं देकर बढ़ाकर ही देंगे। इधर किसानों का कहना है कि हमसब यह क्या जानते हैं, हमलोगों को तो उसी रेट पर मिलना चाहिए जो सरकार द्वारा तय है। यह तो प्रशासन का काम है कि जो स्टॉकिस्ट हैं या डीलर हैं उनसे बात कर इसका समाधान निकालना चाहिए, इसमें किसानों को क्यों लपेटा जाता है।