मनरेगा योजनाओं में लूट, प्रखंड में मची होड़

जानकारी के अनुसार, रामपुर प्रखंड की नौ पंचायतों के लगभग सभी गांवों में मनरेगा के तहत योजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं। इनमें पैन की सफाई, तालाब की खुदाई, अलंग पर मिट्टी भराई सहित सौ से अधिक योजनाएं शामिल हैं।

मनरेगा योजनाओं में लूट, प्रखंड में मची होड़

केटी न्यूज़, ऑनलाइन डेस्क, रामपुर, कैमूर: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की योजनाओं में भारी अनियमितताओं और लूट का मामला सामने आया है। कार्य के लिए तय प्रावधानों की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस लूट में प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ) से लेकर पंचायत रोजगार सेवक तक की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। जिले में उप विकास आयुक्त (डीडीसी) के स्थानांतरण और पुनः पदस्थापन में सरकार के स्तर से हुई देरी का लाभ मनरेगा कर्मियों द्वारा उठाया जा रहा है। 

इस अनियमितता का मुख्य कारण योजना स्थलों पर सूचना बोर्ड न लगाना है। सरकार का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी योजना के कार्यस्थल पर सूचना बोर्ड अवश्य लगाया जाए, जिसमें योजना का नाम, प्राक्कलित राशि, संवेदक का नाम आदि का उल्लेख हो। सूचना बोर्ड न लगाने से प्राक्कलन में आसानी से हेराफेरी की जा सकती है और सरकारी धन की लूट की जा रही है। जानकारी के अनुसार, रामपुर प्रखंड की नौ पंचायतों के लगभग सभी गांवों में मनरेगा के तहत योजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं। इनमें पैन की सफाई, तालाब की खुदाई, अलंग पर मिट्टी भराई सहित सौ से अधिक योजनाएं शामिल हैं।

योजना स्थलों पर सूचना बोर्ड न लगाए जाने से सरकारी राशि की चोरी का खुला मौका मिलता है। आम लोगों को योजना और प्राक्कलन की जानकारी न मिल पाने के कारण पंचायत से लेकर प्रखंड तक के विभागीय कर्मी एवं पदाधिकारियों द्वारा सरकारी राशि की लूट करने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। कुछ ग्रामीणों ने इस संबंध में जिलाधिकारी और डीडीसी से शिकायत भी दर्ज कराई है। 

जब इस बारे में प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा प्रसून कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें योजना बोर्ड न लगाए जाने की जानकारी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बोर्ड लगाने का आदेश है और इसकी जांच करके बोर्ड लगाए जाएंगे। साथ ही संबंधित पंचायत रोजगार सेवक से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। वहीं, प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) दृष्टि पाठ ने इसे गंभीर मामला बताते हुए जांच कर आवश्यक कार्रवाई की बात कही है।

इस मामले को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि योजना स्थलों पर सूचना बोर्ड लगाए जाएं तो हर कोई योजना की प्राक्कलित राशि और संवेदक की जानकारी रख सकेगा और इस तरह सरकारी धन की लूट पर अंकुश लगेगा। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सरकार की योजनाओं को सही तरीके से लागू करने के लिए पारदर्शिता बेहद जरूरी है, लेकिन यहां पर विभागीय कर्मियों और पदाधिकारियों की मिलीभगत से लूट का खेल चल रहा है।

इस गंभीर स्थिति में आवश्यकता है कि उच्च अधिकारी इस मामले को संज्ञान में लें और त्वरित कार्रवाई करें ताकि सरकारी धन की लूट रोकी जा सके और योजनाओं का लाभ वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंचे। मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना का सही क्रियान्वयन ही ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और रोजगार सृजन में सहायक हो सकता है। ग्रामीणों की उम्मीदें और विश्वास सरकार और प्रशासन पर निर्भर हैं, जिन्हें किसी भी हालत में टूटने नहीं दिया जाना चाहिए। 

इस खबर ने स्पष्ट कर दिया है कि पारदर्शिता और ईमानदारी से ही सरकारी योजनाओं का सही और सटीक क्रियान्वयन संभव है। प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास हो सके और सरकारी धन का सही उपयोग हो सके।