केटी न्यूज़, कैमूर। कुदरा प्रखंड मुख्यालय में पुराने खंडहरनुमा भवनों की भरमार हो गई है। उनकी वजह से प्रखंड मुख्यालय बदसूरत और अव्यवस्थित नजर आता है। वहीं उन खंडहरनुमा भवनों का असामाजिक तत्वों के द्वारा गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। यह स्थिति यहां पर लंबे समय से बनी हुई है। इसके बावजूद स्थानीय अधिकारी व प्रतिनिधि उन भवनों के जीर्णोद्धार को लेकर उदासीन नजर आते हैं।
बताते चलें कि इन खंडहरनुमा भवनों में कुछ ऐसे हैं जो पुराने होने के चलते जर्जर हो गए, वहीं कई भवन ऐसे भी हैं जिनका भ्रष्टाचार की वजह से निर्माण ही पूर्ण नहीं हुआ और वे अब खंडहर नजर आते हैं। इसका फ़ायदा उठाकर कई जगहों पर इन खंडहरनुमा भवनों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा रखा है और उनका इनका अवैध इस्तेमाल किया जाता है। स्थानीय प्रखंड के अधिकांश प्रखंडस्तरीय दफ्तर यहां के प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर के अंदर हैं। लेकिन उस परिसर में भी कई खंडहरनुमा भवन नजर आते हैं, जो सहकारिता व अन्य सरकारी विभागों से संबंधित हैं। उन भवनों के आसपास प्रखंड के कृषि विभाग व शिक्षा विभाग के कार्यालयों के अलावा कौशल विकास केंद्र, मवेशी अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान मौजूद हैं। इसके बावजूद उनको लेकर उदासीनता बनी हुई है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि खंडहरनुमा भवनों के पास से गुजरने पर गंदगी का एहसास तो होता ही है, विषैले जीव जंतुओं का भय भी बना रहता है। कई खंडहरनुमा भवन प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर के बाहर भी मौजूद हैं। स्थानीय अनुसूचित जाति 10+2 आवासीय विद्यालय के समीप वर्षों से बन रहे सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कभी पूरा ही नहीं हुआ। अब वह खंडहर के रूप में नजर आता है, जिसका इस्तेमाल अतिक्रमणकारी करते हैं।
यही स्थिति कुदरा प्रखंड मुख्यालय में हिंदी प्राथमिक विद्यालय के भवन की है, जिसके खंडहर हो जाने के चलते उस विद्यालय के बच्चों की कक्षाएं अन्य विद्यालय में चलती हैं। यहां पर मौजूद अनुसूचित जाति 10+2 आवासीय विद्यालय परिसर के अंदर भी पूर्व के समय में कई खंडहरनुमा भवन थे। लेकिन अब उन खंडहरों को ध्वस्त कर उनकी जगह विद्यालय के नए और सुंदर भवन बन चुके हैं।
स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय में मौजूद अन्य खंडहरनुमा भवनों को भी ध्वस्त कर उनकी जगह नया निर्माण कर दिया जाता तो गंदगी से छुटकारा मिलता और प्रखंड मुख्यालय बेहतर नजर आता। लेकिन इसको लेकर अधिकारियों व प्रतिनिधियों में इच्छा शक्ति का अभाव देखा जा रहा है।