बक्सर शिक्षा विभाग में दलालों की दादागिरी : कार्यालय में ‘दबंगों के हस्तक्षेप’ पर प्रशासन सख्त, सांसद सहयोगी सहित दो पर कार्रवाई की मांग

अक्सर फर्जी शिक्षक बहाली, शिक्षकों के भयादोहन, आर्थिक उगाही आदि के लिए सुर्खियों में रहने वाले बक्सर का शिक्षा विभाग इन दिनों दो दबंगों से परेशान हो गया है।

बक्सर शिक्षा विभाग में दलालों की दादागिरी :  कार्यालय में ‘दबंगों के हस्तक्षेप’ पर प्रशासन सख्त, सांसद सहयोगी सहित दो पर कार्रवाई की मांग

-- डीईओ ने डीएम-एसपी को पत्र भेज लगाया फाइलों में अड़ंगा डालने अधिकारियों पर दबाव बनाने व अपराधी प्रवृत्ति का होने का आरोप

केटी न्यूज/बक्सर

अक्सर फर्जी शिक्षक बहाली, शिक्षकों के भयादोहन, आर्थिक उगाही आदि के लिए सुर्खियों में रहने वाले बक्सर का शिक्षा विभाग इन दिनों दो दबंगों से परेशान हो गया है। 

न सिर्फ विभागीय अधिकारी उक्त दबंगों से परेशान है बल्कि, पिछले लंबे समय से उनकी ही चर्चा विभाग से लेकर शहर के चौक-चौराहों पर हो रही है।

यहां काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों का आरोप है कि दो बाहरी लोग लगातार दखल देकर माहौल को तनावपूर्ण बना रहे हैं। इनमें से एक स्थानीय सांसद सुधाकर सिंह का अधिकृत सहयोगी भी है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) ने इस ‘अनावश्यक हस्तक्षेप’ के खिलाफ जिला पदाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को एक विस्तृत पत्र भेजकर तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की है। आरोप है कि दोनों नामजद न केवल कार्यालय में घंटों बैठते हैं, बल्कि बातचीत के बहाने दबाव बनाकर फाइलों की गति धीमी कर देते हैं। डीईओ के इस पत्र से इस बात के प्रमाण मिल गए है कि शिक्षा विभाग में दबंगो के दबाव में कई काम हो रहे है। हालांकि, अब विभागीय अधिकारियों के मुंह खोलने के बाद देखना है कि प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे है।

-- आरोपी कौन, सांसद का पत्र और विवाद की जड़

डीईओ के पत्र में दो व्यक्तियों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, जिनमें अजय कुमार सिंह, पिता स्व. बागेश्वरी सिंह, निवासी कठार, थाना कृष्णाब्रह्म

तथा अरविंद कुमार सिंह, पिता स्व. आनंद बहादुर सिंह, निवासी धोबी घाट गली नं. 07, थाना बक्सर नगर शामिल है।

दूसरे नामजद अरविंद कुमार सिंह के बारे में डीईओ ने कहा कि वे सांसद सुधाकर सिंह के सहयोगी हैं। सांसद ने 28 दिसंबर 2024 को पत्र संख्या बक्सर/138 के माध्यम से डीईओ को औपचारिक रूप से इसकी जानकारी दी थी।

-- पहले से चला आ रहा है विवाद 

यह विवाद अचानक नहीं उठा है। शिक्षा विभाग 6 दिसंबर 2023 को भी इन दोनों के खिलाफ अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, पटना को रिपोर्ट भेज चुका है। रिपोर्ट में आरोप था कि दोनों बार-बार विभागीय कार्य में बाधा डालते हैं और अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं।

इसके बाद विभाग के निदेशक (प्रशासन-सह-सचिव) ने पटना प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक को जांच सौंपी। जांच में आरोपों की पुष्टि होने के बाद स्पष्ट निर्देश दिया गया कि अब जिला प्रशासन आवश्यक कानूनी कार्रवाई करे।

-- सबूत के तौर पर दिए सीसीटीवी फुटेज और केस रिकॉर्ड 

ताजा शिकायत में डीईओ ने सबूत के रूप में कार्यालय परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज की प्रतियां संलग्न की हैं। साथ ही आरोप लगाया है कि दोनों आरोपित आपराधिक प्रवृत्ति के हैं और जिले के विभिन्न थानों में इनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं।

डीईओ का कहना है कि ये लोग वर्तमान में जमानत पर हैं, इसलिए उनकी जमानत रद्द कराने की भी सिफारिश की गई है। पत्र के साथ इन प्राथमिकी और पर्यवेक्षण प्रतिवेदनों की प्रतियां भी भेजी गई हैं।

-- गोपनीय शाखा भी पहले ही दे चुकी है चेतावनी

जिला गोपनीय शाखा इस मामले पर पहले से नजर रख रही है। 28 फरवरी 2025 को विशेष कार्य पदाधिकारी ने बक्सर के एसडीएम और डीएसपी को पत्र भेजकर जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।

पत्र में स्पष्ट किया गया था कि निदेशक सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार, पटना द्वारा जारी आदेश (पत्रांक संख्या 107, दिनांक 07.02.2025) के तहत कार्रवाई जरूरी है। गोपनीय शाखा का मत था कि इस तरह का हस्तक्षेप कार्यालय की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रहा है और समय रहते ठोस कदम उठाना अनिवार्य है।

-- कर्मचारियों का टूट रहा मनोबल

कार्यालय के कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस तरह के दबाव में निष्पक्ष और समयबद्ध काम करना बेहद मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि अगर यह माहौल जारी रहा, तो विभाग की कार्यक्षमता पर सीधा असर पड़ेगा।

वहीं, एक कर्मचारी का कहना है कि हमारा काम कागजों में नहीं, बल्कि दखल और दबाव के जाल में उलझ रहा है। इस माहौल में कोई भी निष्पक्ष निर्णय लेना आसान नहीं है।

-- अब गेंद प्रशासन के पाले में

डीईओ का पत्र सार्वजनिक होते ही मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। अब जिम्मेदारी पूरी तरह से जिला प्रशासन और पुलिस की है कि वे आरोपियों पर कितनी तेजी से कार्रवाई करते हैं। हालांकि, इस मामले में शिक्षा विभाग का रुख साफ है, जब तक इन लोगों पर कानूनी शिकंजा नहीं कसा जाएगा, तब तक कार्यालय में तनाव और कामकाज पर असर बना रहेगा।

-- प्रशासनिक थ्रिलर में बदला शिक्षा कार्यालय

फिलहाल, जिला शिक्षा कार्यालय का माहौल किसी प्रशासनिक थ्रिलर से कम नहीं है। फाइलें, बैठकें, आदेश और शिकायतें, सब एक ही धुरी पर घूम रही हैं, “क्या सांसद के सहयोगी और उनके साथी पर कानून का शिकंजा कस पाएगा प्रशासन?

या फिर यह मामला भी किसी मोटी फाइल के ढेर में दबकर रह जाएगा, यही सवाल अब बक्सर के प्रशासनिक गलियारों में गूंज रहा है।

बोले अरविन्द सिंह व अजय सिंह

डीईओ के स्तर से लगाए गए आरोप पर अरविंद सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए कि ाह किस कानून में लिखा कि कोई व्यक्ति सरकारी कार्यालय में नहीं जा सकता है। डीपीओ शारिक अशरफ के कार्यालय के भ्रष्टाचार को उजागर करने का काम किया है। उसको लेकर हमलोगों को मानसिक प्रताड़ना करते रहते है। ऐसे ही एक मामले में शारिक अशरफ ने दो दिनों पहले कोर्ट से बेल लिया गया। शारिक अशरफ ने दैनिक प्रभार के दौरान यह निर्णय लिया है। जो नियम विरूद्ध है। उनके खिलाफ जिला लोक शिकायत में चार मामले चल रहे है। हमलोगों ने पूर्व के दो मामलों में शारिक अशरफ परं प्रपत्र क के गठन का आदेश कराया है। इनके मन मुताबिक कार्य किजिए। तो सब ठीक है। बिना एग्रीमेंट के ही इन्होंने भुगतान कर दिया गया है। जिसका परिवाद चल रहा है। इस पर तत्कालीन डीईओ अमरेंद्र पांडेय ने इनसे स्पष्टीकरण भी किया था।