बक्सर में बेंच-डेक्स महा घोटाला: कौन है वो दबंग जो जांच प्रकिया को कर रहा बाधित, शासन-प्रसाशन क्यों है मौन!

जिले के विद्यालयों में पिछले वित्तीय वर्ष में बेंच डेस्क की आपूर्ति की गई थी। आउट सोर्सिंग से हुए इस काम में मानकों को ताक पर रख घटिया मेटेरियल से निर्मित बेंच-डेस्क की आपूर्ति की गई थी। मानकों को ताक पर रखने में संवेदकों द्वारा इस बात का ख्याल भी नहीं रखा गया था कि इसी बेंच-डेस्क के सहारे देश का भविष्य गढ़ा जाएगा। लिहाजा कम समय में ही आपूर्ति किए गए बेंच-डेस्क खराब होने लगे।

बक्सर में बेंच-डेक्स महा घोटाला: कौन है वो दबंग जो जांच प्रकिया को कर रहा बाधित, शासन-प्रसाशन क्यों है मौन!
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जिले के विद्यालयों में बेंच-डेस्क व बोरिंग लगाने की योजना में भारी पैमाने पर बरती गई है अनियमितता, मानकों को ताक पर रख की गई है आपूर्ति

राज्य लोक शिकायत में दो एजेंसियों पर मानक के विपरीत आपूर्ति का चल रहा है मामला

केटी न्यूज/बक्सर

जिले के विद्यालयों में पिछले वित्तीय वर्ष में बेंच डेस्क की आपूर्ति की गई थी। आउट सोर्सिंग से हुए इस काम में मानकों को ताक पर रख घटिया मेटेरियल से निर्मित बेंच-डेस्क की आपूर्ति की गई थी। मानकों को ताक पर रखने में संवेदकों द्वारा इस बात का ख्याल भी नहीं रखा गया था कि इसी बेंच-डेस्क के सहारे देश का भविष्य गढ़ा जाएगा। लिहाजा कम समय में ही आपूर्ति किए गए बेंच-डेस्क खराब होने लगे।  हालांकि, इस मामले में विभागीच चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। जानकारों का कहना है कि इस मामले में शिक्षा विभाग में सक्रिय दबंगों ने बड़े पैमाने पर मैनेज का खेल खेला है तथा उन्हीं के दबाव में विभाग इसकी जांच नहीं करा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यदि इसकी उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए तो जिले के विद्यालयों में बेंच-डेस्क आपूर्ति में भारी पैमाने पर लूट का खुलासा हो सकता है। 

-- क्या था पैमाना 

विभागीय जानकारों का कहना है कि इस मामले में विभाग द्वारा जो मानक तय किया गया था उसमें बेंच-डेस्क का लोहे या शीशम का फ्रेम तथा आम की लकड़ी का सीट लगाना था, लेकिन संवेदकों द्वारा इसे ताक पर रख दिया गया और आम की लकड़ी की सीट के बदले प्लाई वाले बेंच-डेस्क की आपूर्ति कर दी गई। वहीं, फ्रेम में भी मानकों की अनदेखी की गई है। लेकिन, ताज्जूब की विभाग द्वारा सबकुछ जानते हुए भी इस मामले में मौन साध लिया गया। शिक्षा विभाग के प्राथमिक निदेशक मिथिलेश मिश्रा ने पहली बार बेंच-डेस्क की अनियमितता को पकड़ा था। वह 27/06/2024 को जांच करने चक्की प्रखंड गए थे। वहां लक्ष्मण डेरा मध्य विद्यालय में खराब गुणवत्ता वाला बेंच डेस्क मिला था। उसी दौरान उन्होंने डीपीओ शारिक अशरफ को जांच करने का आदेश दिया था। जांच में खराब गुणवत्तापूर्ण बेंच-डेस्क मिला था। इसकी सबसे अधिक संख्या इटाढ़ी मिली थी। डीपीओ शारिक अशरफ ने जांच पूरी करने के बाद इटाढ़ी बीईओ को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। बीईओ ने एफआईआर दर्ज करने के लिए इटाढ़ी थानाध्यक्ष कोे आवेदन दिया था। परंतु एक साल तक थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी।

लोक-शिकायत में जाने के बाद हुई प्राथमिकी

इस मामले में जिले के चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने मोर्चा खोला। उन्होंने मामला उठाया कि जिले के जिन विद्यालयों में बेंच डेस्क की सप्लाई की गई है। उसकी गुणवत्ता की जांच दूसरी एजेंसी से करायी जाए। जिससे सारी वस्तु स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। हालांकि जिला लोक शिकायत में साठ दिन बीत गया। परंतु गुणवत्ता की जांच के लिए आदेश नहीं निकला। इसके बाद मामला प्रमंडलीय आयुक्त के पास गया। वहां जाने के बाद एक साल से पड़ें ब्राइट एवं अलमा ब्रदर्श नामक कार्य एजेंसी जिस पर इटाढ़ी बीईओ ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था। उसी पर प्राथमिकी दर्ज की गई। लेकिन, गुणवत्ता की जांच नहीं की गई। इसके बाद अब मामला अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के पास चला गया है। इस संबंध में शिव प्रकाश राय का कहना है कि अधिकारी जानबुझकर मामले का टाल-मटोल कर रहे है। यदि गुणवत्ता की जांच नहीं होती है। उस परिस्थिति में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे। वहीं दूसरी ओर गुणवत्ता की जांच नहीं होना कई सवाल खड़े कर रहा है। वहीं, विभागीय सूत्रों का कहना है कि कथित दबंगों के दबाव में ही इस योजना की जांच नहीं हो पा रही है। 

-- कार्य एजेंसी के चयन में भी बरता गया है भेदभाव

विभागीय सूत्र बताते है कि कार्य एजेंसी के चयन में भी भेद-भाव बरता गया है तथा चहेतों को ही आपूर्ति का जिम्मा दिया गया है। एजेंसी चयन में भी विभागीय दबंगो की खूब चली है। जानकारों की मानें तो साई इंटर प्राइजेज ने बेंच-डेस्क की आपूर्ति की है। इसके अलावे जिले के कई अन्य प्रखंडोे में भी साई इंटर प्राइजेज बड़े पैमाने पर बेंच डेस्क सप्लाई किया है। इसके साथ बोरिंग भी लगाया गया है। जो इस बात के प्रमाण है कि कार्य एजेंसी के चयन में भेदभाव बरता गया है। जानकार बताते है कि गहराई से जांच होने पर घटिया मेटेरियल के साथ ही इस बात का खुलासा भी हो जाएगा कि आखिर किसके दबाव में एक ही एजेंसी को कई विद्यालयों में आपूर्ति की जिम्मेवारी दी गई है।