स्थापना डीपीओ विष्णुकांत राय पर एक करोड़ से अधिक राशि के विचलन का आरोप, पूर्व में भी विवादों में घिरते रहे हैं अधिकारी
बक्सर जिला शिक्षा विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है। आरोप इस बार जिले के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) विष्णुकांत राय पर लगे हैं। तिलक राय के हाता गांव निवासी आजाद गिरी ने जिलाधिकारी सहित शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पत्र भेजकर एक करोड़ आठ लाख से अधिक की सरकारी राशि के विचलन का गंभीर आरोप लगाया है। गिरी ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी अधिकारी पर कठोर कार्रवाई हो।

-- बक्सर शिक्षा विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर, संवेदकों के बदले स्थापना डीपीओ ने नियम विरूद्ध पार्क की सरकारी खाते में राशि
-- तिलक राय के हाता निवासी आजाद गिरी ने जिलाधिकारी व शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारियों को आवेदन दे जांच की लगाई है गुहार
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर जिला शिक्षा विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है। आरोप इस बार जिले के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) विष्णुकांत राय पर लगे हैं। तिलक राय के हाता गांव निवासी आजाद गिरी ने जिलाधिकारी सहित शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पत्र भेजकर एक करोड़ आठ लाख से अधिक की सरकारी राशि के विचलन का गंभीर आरोप लगाया है। गिरी ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर दोषी अधिकारी पर कठोर कार्रवाई हो।
आजाद गिरी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए जीर्णाेद्धार, अतिरिक्त वर्गकक्ष निर्माण, पेयजल व्यवस्था, शौचालय मरम्मत जैसे कार्यों की राशि नियम विरुद्ध तरीके से खर्च की गई। नियम के मुताबिक पांच लाख से कम राशि के कार्यों के लिए विद्यालय प्रबंधन को स्थानीय स्तर पर संवेदक का चयन कर भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाना था, लेकिन आरोप है कि डीपीओ (स्थापना) विष्णुकांत राय ने ऐसा न करके संवेदकों की राशि अपने सरकारी खाते में पार्क कर ली और बाद में डील तय होने पर चयनित संवेदकों को भुगतान किया, जबकि जिनसे समझौता नहीं हुआ उनका पैसा अब तक अटका है। सिर्फ 24 मार्च 2024 को ही प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 42 कार्यों से जुड़ी 1 करोड़ 8 लाख 21 हजार रुपये से अधिक की राशि को संवेदकों के खाते में “पेड एंड कैंसल्ड” दिखा दिया गया, जबकि पैसा सीधे उनके सरकारी खाते में डाल दिया गया।
-- महालेखाकार और शिक्षा विभाग के आदेश की अनदेखी
यह निकासी महालेखाकार पटना और शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों की खुली अवहेलना मानी जा रही है। विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि राशि का विचलन किसी अन्य मद में नहीं होगा और खर्च का दोहरीकरण नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद डीपीओ पर आरोप है कि उन्होंने राशि खाता में रखकर बाद में मनमर्जी से भुगतान किया, जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
-- पहले भी विवादों में रहे हैं विष्णुकांत राय
स्थापना डीपीओ विष्णुकांत राय पर यह पहला आरोप नहीं है। वे पहले भी कई बार विवादों में घिर चुके हैं, जिनमें तथाकथित शिक्षा माफिया अजय सिंह पर मेहरबानी, जांच लंबित रहने के बावजूद उनसे जुड़ी फर्म फर्स्ट आइडिया को भुगतान किया जाना तथा उनकी शिक्षिका पत्नी का निलंबन मुक्त होते ही वेतन भुगतान जारी कर दिया गया, जबकि इसी तरह के अन्य मामलों में महीनों तक फाइलें अटकी रहती हैं। वहीं, स्थानांतरण आदेश निकलने के बावजूद स्थापना डीपीओ लंबे समय से बक्सर में जमे है, जिससे विभागीय नियमों पर सवाल उठ रहे है। इन घटनाओं के चलते उन पर “पक्षपात और मिलिभगत” के आरोप पहले से लगते रहे हैं।
-- बंदरबांट का आरोप और पारदर्शिता पर सवाल
आजाद गिरी का कहना है कि संवेदकों के साथ डील कर भुगतान किया गया, जो सीधी बंदरबांट की प्रक्रिया है। जिनसे बात नहीं बनी, उनका भुगतान आज तक रोका गया है। उन्होंने कहा कि बक्सर में शिक्षा विभागीय कार्यों में व्याप्त अनियमितताएं किसी से छिपी नहीं हैं। गिरी ने जिलाधिकारी से मांग की है कि यह देखा जाए कि कितने मामलों में 2023-24 की राशि 2024-25 और 2025-26 में खर्च की गई, कितनी राशि अब तक अटकी हुई है और किसे लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया।
-- अन्य जिलों में अधिकारी दंडित, बक्सर में अब तक ढिलाई
गौरतलब है कि बिहार के अन्य जिलों में नियम विरुद्ध भुगतान करने वाले कई जिला शिक्षा पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि बक्सर में एक करोड़ से अधिक राशि के विचलन जैसे गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया।
-- जांच की मांग तेज
आरोप लगने के बाद जिले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठ रही हैं। आम लोगों का कहना है कि अगर शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में इस स्तर पर भ्रष्टाचार होता रहा तो इसका सीधा नुकसान बच्चों और विद्यालयों को झेलना पड़ेगा। बता दें कि आजाद गिरी ने अपने शिकायती पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि यह स्पष्ट रूप से सरकारी राशि का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार है। ऐसे अधिकारी पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई शिक्षा विभाग का कोई भी पदाधिकारी निजी लाभ के लिए सरकारी धन विचलन नहीं कर सकें।
फिलहाल मामला जिलाधिकारी और शिक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों तक पहुंच चुका है। जिले में लोग अब यह देखने को बेताब हैं कि क्या डीएम विष्णुकांत राय पर विभागीय जांच बैठाते हैं या मामला फिर ठंडे बस्ते में चला जाएगा।