डुमरांव की नन्ही मैथ वंडर शानवी ने रचा इतिहास, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

डुमरांव की सरजमीं से निकली सात वर्षीय शानवी श्रीवास्तव ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जो न केवल स्थानीय क्षेत्र बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व का विषय बन गया है। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली इस बालिका ने 12वीं कक्षा तक के 300 जटिल गणितीय सूत्रों को मात्र 30 मिनट में, बिना रुके और शुद्ध उच्चारण के साथ बोलकर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया।

डुमरांव की नन्ही मैथ वंडर शानवी ने रचा इतिहास, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

-- दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली शानवी ने 12 वीं कक्षा तक के गणित के 300 सूत्रों को बिना रूके सुना रचा इतिहास, इंटरनेशनल वंडर गर्ल की मिली ख्याति

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव की सरजमीं से निकली सात वर्षीय शानवी श्रीवास्तव ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जो न केवल स्थानीय क्षेत्र बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व का विषय बन गया है। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली इस बालिका ने 12वीं कक्षा तक के 300 जटिल गणितीय सूत्रों को मात्र 30 मिनट में, बिना रुके और शुद्ध उच्चारण के साथ बोलकर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया।

इस अद्वितीय उपलब्धि ने शानवी को इंटरनेशनल वंडर गर्ल की ख्याति दिला दी है। शानवी की उपलब्धि में सबसे खास बात यह है कि उन्होंने यह कारनामा महज दो महीनों की तैयारी में कर दिखाया। सूत्रों में अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति, कलन, ज्यामिति और सांख्यिकी जैसे कठिन विषयों की गूढ़ संकल्पनाएं शामिल थीं, जिन्हें आमतौर पर बड़े-बड़े छात्रों को याद करने में वर्षों लग जाते हैं।

बेंगलुरु के श्री चैतन्य टेक्नो स्कूल में अध्ययनरत शानवी मूलतः डुमरांव के लालाटोली रोड की निवासी हैं। उनके पिता संजय श्रीवास्तव भारतीय वायुसेना के पूर्व जूनियर कमीशंड अधिकारी हैं और वर्तमान में संचार मंत्रालय में पदस्थापित हैं। शानवी की मां ने उसकी पढ़ाई को कभी बोझ नहीं बनने दिया। उन्होंने खेल-खेल में पढ़ाई कराने की अनूठी शैली अपनाई। कहानियों, गीतों और रोचक गतिविधियों के माध्यम से गणित को सहज और रोचक बनाया गया, जिससे शानवी की विषय में रुचि गहराती गई।

परिवार में प्रेरणा की कमी नहीं है। शानवी के बड़े भाई श्रेयस श्रीवास्तव ने वर्ष 2024 में दसवीं की सीबीएसई परीक्षा में बैंगलुरु के विद्यारण्यपुरा क्षेत्र में टॉप किया था, जिसके लिए उन्हें कर्नाटक सरकार के राजस्व मंत्री कृष्ण बायर गौड़ा द्वारा सम्मानित भी किया गया। इस पूरे परिवार में मेहनत, अनुशासन और रचनात्मकता की एक स्पष्ट झलक मिलती है, जो बच्चों को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करती है।

शानवी अब गणित और विज्ञान के क्षेत्र में गहन अध्ययन करना चाहती हैं। उनका सपना है कि वे एक वैज्ञानिक और गणितज्ञ बनकर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन करें। उनकी यह शुरुआत बताती है कि वह केवल एक रिकॉर्ड धारक नहीं, बल्कि भविष्य की एक चमकदार प्रतिभा हैं।

शानवी की सफलता न केवल बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत है, बल्कि माता-पिता, शिक्षकों और नीति निर्माताओं को यह सोचने के लिए भी मजबूर करती है कि शिक्षा को बोझ नहीं, बल्कि आनंद का माध्यम कैसे बनाया जाए। यदि बच्चों की जिज्ञासा और रुझान को सही समय पर पहचाना जाए और उन्हें अनुकूल वातावरण दिया जाए, तो वे हर चुनौती को पार कर सकते हैं।

डुमरांव की यह बेटी अब देश की शान बन चुकी है। उसका यह अद्वितीय कीर्तिमान सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि भारत के छोटे शहरों और कस्बों में भी असाधारण प्रतिभाएं छिपी हुई हैं, जिन्हें बस पहचान और प्रोत्साहन की ज़रूरत है।