वैदिक मंत्रोच्चार व जयकारे के बीच पुराना भोजपुर मां काली मंदिर का वार्षिक पूजनोत्सव संपन्न

पुराना भोजपुर गांव में शनिवार को मां काली मंदिर का वार्षिक पूजनोत्सव परंपरागत उल्लास व वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ। इस आयोजन ने आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक उत्सव का अनुपम संगम प्रस्तुत किया। इस भव्य आयोजन में न केवल गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, बल्कि आसपास के इलाकों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

वैदिक मंत्रोच्चार व जयकारे के बीच पुराना भोजपुर मां काली मंदिर का वार्षिक पूजनोत्सव संपन्न

-- श्रद्धा, संस्कृति और समरसता का संगम मां काली का वार्षिक पूजनोत्सव, ग्रामीणों में दिखा उत्साह

केटी न्यूज/डुमरांव

पुराना भोजपुर गांव में शनिवार को मां काली मंदिर का वार्षिक पूजनोत्सव परंपरागत उल्लास व वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न हुआ। इस आयोजन ने आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक उत्सव का अनुपम संगम प्रस्तुत किया। इस भव्य आयोजन में न केवल गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, बल्कि आसपास के इलाकों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

पूजा-अर्चना, खप्पर यात्रा, ढोल-नगाड़ों की गूंज, मेला और भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। मां काली के वार्षिके पूजनोत्सव से गांव का माहौल भक्तिमय बना रहा। पूजनोत्सव का शुभारंभ पारंपरिक वैदिक विधियों के साथ मंदिर के पुजारी अनीश पाठक और तेजनारायण ओझा ने किया। मां काली को विशेष अंगवस्त्र अर्पित किए गए और उन्हें भोग लगाकर महाआरती संपन्न की गई। सैकड़ों ग्रामीणों ने उपवास रखकर मां की आराधना की और सुख-समृद्धि की कामना की।

इस धार्मिक आयोजन की खास परंपरा खप्पर यात्रा रही, जो मां काली की शक्ति और गांव की शांति की प्रतीक मानी जाती है। इस यात्रा का नेतृत्व रमाकांत चौधरी और बीरबहादुर सिंह ने किया। यात्रा में युवाओं ने भगवा वस्त्र धारण कर जोश और उमंग से भाग लिया। महिलाएं मंगल गीत गा रही थीं, वहीं बच्चे भी पूरे उल्लास के साथ यात्रा में सम्मिलित थे। जयकारों और ढोल-नगाड़ों से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा।

पूजा के साथ गांव में मेला भी लगा, जिसमें मिठाई की दुकानों, चरखों, झूलों और अन्य मनोरंजक गतिविधियों ने लोगों को आकर्षित किया। हर घर में पकवानों की खुशबू फैल रही थी और महिलाएं पूरे दिन पूजा-पाठ में लगी रहीं। मां को पारंपरिक छाक अर्पण करने की परंपरा का भी विशेष महत्व रहा।

पूरे आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रही। नया भोजपुर थाना की ओर से अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी, जिससे विधि-व्यवस्था में कोई बाधा न आए। मंदिर समिति और प्रशासन की सजगता के कारण आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा।

श्रद्धालुओं के लिए मंदिर समिति ने पेयजल, बैठने और प्रसाद वितरण की उत्तम व्यवस्था की थी। श्रद्धालुओं का कहना था कि मां काली का यह पूजनोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गांव की सांस्कृतिक आत्मा है। यह कार्यक्रम सामाजिक एकता और समरसता को भी मजबूती देता है।

गांव के बुजुर्गों के अनुसार, यह पूजनोत्सव पीढ़ियों से इसी परंपरा में होता आ रहा है और हर वर्ष इसमें श्रद्धा और सहभागिता का स्तर और अधिक बढ़ता जा रहा है। युवाओं ने इस बार भी आयोजन की तैयारी और संचालन में अहम भूमिका निभाई।

मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि मां काली का यह मंदिर गांव का सबसे प्राचीन और पूजनीय स्थल है। ग्रामीण इसे अपनी रक्षक देवी मानते हैं और हर शुभ कार्य की शुरुआत यहीं से करते हैं। यही वजह है कि यह आयोजन न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि गांव की धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा बन चुका है।