डुमरांव नगर देवी मां बसवनी के वार्षिक पूजनोत्सव में बही भक्ति की धारा
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- चार सौ सालों से चली आ रही है परंपरा, वार्षिक पूजनोत्सव में उत्साह के साथ शामिल होते है शहरवासी
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव नगर देवी मां बसवनी के वार्षिक पूजनोत्सव पर बुधवार को नगर में भक्ति की धारा बहती रही। नगर की देवी की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही लोगों का पूजा स्थल पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। ध्वनि विस्तार संयंत्रों के जरिए गूंजते वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्रद्धालुओं के जयघोष से पूरा नगर गुंजायमान रहा।
नगर देवी की वार्षिक पूजनोत्सव पर आस-पास के इलाकों में भी भक्ति का माहौल कायम रहा। प्रत्येक घर से कम से कम एक सदस्य ने पूजा स्थल पर पहुंचकर मां बसवनी की पूजा की। पूजनोत्सव के आयोजन को लेकर भिक्षाटन स्वरूप हरेक नागरिक व व्यवसायियों से चंदा इकट्ठा किया गया था। प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा को मां बसवनी पूजनोत्सव का आयोजन किया जाता है।
बुधवार को वार्षिक पूजनोत्सव पर नगर में लोगों के बीच श्रद्धा व उल्लास देखने को मिला। वार्षिक पूजनोत्सव समिति ने देवी मंदिर परिसर को आकर्षक तरीके से सजाया था। बता दें कि सैकड़ों वर्ष पूर्व डुमरांव नगर में प्लेग नामक महामारी फैल गयी थी।
इस महामारी में काफी संख्या में लोग मरने लगे। इसको लेकर पूरें नगर में हाहाकर मच गया। उसी दौरान नागरिकों को रात में स्वप्न आया कि कांव नदी के किनारे नगर देवी बसवनी का मंदिर स्थापित कर पूजा-अर्चना करने से महामारी दूर हो जाएगी। पूरे नागरिकों के सहयोग से कांव नदी से पूरब देवी मंदिर की स्थापना हुई। नागरिकों को बीमारी से राहत मिली।
महामारी के दौरान उजड़ा हुआ डुमरांव नगर फिर से बस गया। उसी समय से इस मंदिर में विराजित देवी को बसवनी माई के नाम से जाना जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी बसवनी की पूजा-अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
वार्षिक पूजनोत्सव पर श्रद्धालु घर में बने पकवान को चढ़ाते है तथा बाद में उसे खुद भी ग्रहण करते है। इस मौके पर एक मेला का आयोजन भी किया जाता है। इस वर्ष भी यह परंपरा देखने को मिली। वहीं, मां बसवनी के वार्षिक पूजनोत्सव पर वैदिक मंत्रोच्चार व मांगलिग गीतों से इलाके में भक्तिरस की अविरल धारा प्रवाहित हो रही थी।