बेलाउर सूर्य मंदिर में लाखों की संख्या में जुटे छठ व्रती, मनोकामना सिक्का लेने की है मान्यता

मध्य बिहार के शाहाबाद जिलों के प्रसिद्ध सूर्य तीर्थों में शुमार भोजपुर जिला के उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर सूर्य मंदिर आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है।

बेलाउर सूर्य मंदिर में लाखों की संख्या में जुटे छठ व्रती, मनोकामना सिक्का लेने की है मान्यता
Festival

केटी न्यूज़/भोजपुर

मध्य बिहार के शाहाबाद जिलों के  प्रसिद्ध सूर्य तीर्थों में शुमार भोजपुर जिला के उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर सूर्य मंदिर आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां चैत मास तथा कार्तिक मास में बड़ी संख्या में छठ व्रती सूर्य की पूजा अर्चना करने बिहार,झारखंड, यूपी सहित अन्य प्रदेशों था विदेशों में रहनेवाले भारतीय श्रद्धालु छठ ब्रत करने पहुंचते हैं। साल  दर साल व्रतियों की संख्या बढ़ती जा रही है।

संवत 2007 में करबासीन गांव निवासी संत मौनी बाबा के अथक प्रयास से बेलाउर सूर्य मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध मकराना के संगमरमर पत्थर से कराया गया था।मंदिर का निर्माण बावन सुवा  के राजाओं द्वारा खुदवाए गए  भैरवानंद पोखरा के मध्य कराया गया। स्थानीय बताते हैं कि लगभग 600 वर्ष यहां बावन सुवा के राजा द्वारा मंदिर निर्माण कराया गया था जो कालांतर में नष्ट हो गया। मंदिर में भगवान सूर्य के चारों क्षेत्र में  गणेश, दुर्गा आदि देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित है।सफेद रंग के संगमरमर का बना सात घोड़े पर सवार भगवान सूर्य की पश्चिमाभिमुख प्रतिमा आकर्षण का मुख्य केंद्र है।बेलाउर निवासी एवं मंदिर ट्रस्ट के संटू चौधरी ने बताया कि ऐसी प्रतिमा अन्य मंदिरों में  नहीं है। 

बेलाउर सूर्य मंदिर परिसर में छठ व्रतियों की मान्यता है कि भुवन भास्कर से भक्ति भाव से मांगी गई हर मनोकामना अवश्य पूरी होती है।बेलाउर सूर्य आने वाले श्रद्धालुओं को छठ की ब्रह्म मुहूर्त में मनोकामना सिक्का निःशुल्क दी जाती है।इसके लिए मंदिर में सिद्ध किया हुआ सिक्का पुजारी जी से मांग करने पर दी जाती है।अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद ब्रत करने के दौरान पूर्व में लिया सिक्का लौटा दिया जाता है।मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य बताते हैं कि हजारों लोग मनोकामना पूर्ण होने पर सिक्के लौटा चुके हैं।

अटल  बिहारी वाजपेयी  24 अप्रैल  1985 को  एक  चुनावी सभा  के  क्रम में  किए  थे  सूर्य  भगवान का  दर्शन l विनय  बेलाउर ने  बताया कि  मै  9 वर्ष का  था जब भारत  रत्न श्रद्धेय  अटल बिहारी वाजपेयी  जी दर्शन  के बाद सभा में  बोले कि ऐसी  प्रतिमा  मैंने  पूरे देश में  नहिं  देखा,जो  मकराणा  पत्थर  से  निर्मित भगवान भास्कर की  प्रतिमा सात घोड़े ,सारथी एक  साथ  कहीं  जोड़  नहीं है l

इस मंदिर में जाटा बाबा का आदमकद प्रतिमा स्थापित है तथा यह मंदिर सूर्य मंदिर से ऊंचा है ।कहते हैं भैरवानंद पोखरा के निर्माण के समय गहरी  खुदाई के बावजूद पानी नहीं निकलने पर बावन सुवा  के राजा के आदेश पर जटा जूट धारी एक बच्चे को बलि देने के लिए लाया गया।बली न देने की शर्त पर बच्चों के फावड़ा उठते ही तालाब से जल निकल पड़ा।इस तालाब के उतरी छोर पर उनका भव्य मंदिर बनाया गया।