तथाकथित दलाल पर मेहरबान है बक्सर का शिक्षा विभाग, नियम ताक पर, शिक्षिका पत्नी को निलंबन से मिली राहत जिला लोक शिकायत पहुंचा मामला
बक्सर जिले के शिक्षा विभाग और सिमरी प्रखंड नियोजन इकाई की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। मामला शिक्षा विभाग के तथाकथित दलाल अजय सिंह की शिक्षिका पत्नी शोभा कुमारी से जुड़ा है, जिनका निलंबन नियमों को ताक पर रखकर तोड़ दिया गया और अगले ही दिन उन्हें वेतन भुगतान भी कर दिया गया। यह ताबड़तोड़ कार्रवाई उस समय हुई, जब जिले में कई ऐसे शिक्षक वर्षों से निलंबन या सेवांत लाभ जैसी प्रक्रियाओं के लिए विभागीय दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं।

- निलंबन तोड़ने के लिए नहीं हुई नियोजन इकाई की बैठक, अकेले बीडीओ ने लिया फैसला
- वेतन भुगतान में भी ताबड़तोड़ कार्रवाई, निलंबन अवधि की हाजिरी में खुली गड़बड़ी
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर जिले के शिक्षा विभाग और सिमरी प्रखंड नियोजन इकाई की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। मामला शिक्षा विभाग के तथाकथित दलाल अजय सिंह की शिक्षिका पत्नी शोभा कुमारी से जुड़ा है, जिनका निलंबन नियमों को ताक पर रखकर तोड़ दिया गया और अगले ही दिन उन्हें वेतन भुगतान भी कर दिया गया। यह ताबड़तोड़ कार्रवाई उस समय हुई, जब जिले में कई ऐसे शिक्षक वर्षों से निलंबन या सेवांत लाभ जैसी प्रक्रियाओं के लिए विभागीय दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं। इस बात का खुलासा सिमरी प्रखंड के तिलक राय के हाता गांव निवासी आजाद कुमार गिरी तथा तवकल राय के डेरा गांव निवासी हरिकृष्ण यादव द्वारा जिला लोक शिकायत में दर्ज कराए गए परिवाद से हुआ है। दोनों ने लोक शिकायत में परिवाद दायर कर शिक्षिका के नियम विरुद्ध निलंबन मुक्त करने तथा वेतन भुगतान की जांच की मांग की है।
- निरीक्षण में बंद मिला था विद्यालय
बता दें कि शोभा कुमारी का मूल पदस्थापन मध्य विद्यालय कठार में है, जबकि उनकी प्रतिनियुक्ति नवसृजित प्राथमिक विद्यालय दिया परमेश्वर मठिया में की गई थी। 16 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन स्थापना डीपीओ मो. शारिक अशरफ ने विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण सुबह 9.45 बजे हुआ और तब तक विद्यालय बंद मिला था।डीपीओ की जांच प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 22 अक्टूबर 2023 को आदेश जारी कर शोभा कुमारी और विद्यालय की प्रभारी नीलम देवी दोनों को निलंबित करने की अनुशंसा की। इसके आलोक में प्रखंड नियोजन इकाई सिमरी की बैठक हुई और दोनों शिक्षिकाओं का निलंबन प्रभावी किया गया।
- नियमों की अनदेखी, बिना बैठक के निलंबन खत्म
लेकिन शिक्षिका शोभा कुमारी के निलंबनमुक्त किए जाने से मामला दिलचस्प मोड़ लेता है। 30 मई 2025 को सिमरी बीडीओ ने ज्ञापांक 726 जारी कर शोभा कुमारी का निलंबन खत्म करने और उन्हें विभागीय कार्रवाई से मुक्त करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं, अगले ही दिन उन्हें मूल विद्यालय मध्य विद्यालय कठार में योगदान देने का निर्देश भी दिया गया। पंचायत शिक्षक नियमावली के अनुसार, निलंबन तोड़ने जैसे निर्णय प्रखंड नियोजन इकाई की बैठक से ही संभव हैं। यदि प्रखंड प्रमुख का पद रिक्त है तो उप प्रमुख की अध्यक्षता में बैठक कराई जाती है। नियम यह भी कहते हैं कि बैठक बुलाने के लिए प्रमुख या उप प्रमुख को कम से कम तीन बार पत्राचार करना जरूरी है। लेकिन इस पूरे प्रकरण में कोई बैठक बुलाए बिना और उप प्रमुख से परामर्श किए बिना ही बीडीओ ने निर्णय ले लिया।
- वेतन भुगतान में भी ताबड़तोड़ कार्रवाई
सिर्फ निलंबन तोड़ने तक ही बात नहीं रुकी। शिक्षिका को निलंबनमुक्त करने के अगले ही दिन निलंबन अवधि का वेतन भुगतान भी कर दिया गया। सामान्यतः निलंबन अवधि का वेतन भुगतान लंबी प्रक्रिया से गुजरता है, जिसमें विभागीय जांच और सत्यापन शामिल होता है। लेकिन इस मामले में शिक्षा विभाग ने रिकॉर्ड गति से वेतन भुगतान कर यह साफ कर दिया कि शोभा कुमारी को विशेष लाभ दिया जा रहा है।
- मोबाइल ऐप हाजिरी में गड़बड़ी का खुलासा
मामले की एक और परत तब खुली जब शिक्षिका की निलंबन अवधि की हाजिरी जांची गई। पता चला कि उन्होंने विभागीय मोबाइल एप पर हर दिन एक ही फोटो अपलोड कर उपस्थिति दर्ज कराई। इसका मतलब है कि हाजिरी केवल औपचारिकता रही और वास्तविक उपस्थिति की पुष्टि कभी नहीं हुई। इसके बावजूद विभाग ने बिना जांच किए ही उनका पूरा वेतन जारी कर दिया। इसने विभाग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं विभागीय सूत्रों कि मानें तो निलंबन के दौरा शिक्षिका मैडम को सिमरी बीआरसी में प्रतिदिन उन्हें आकर हाजरी बनाना था। परन्तु वो किसी दिन नही आती थी। इसका प्रमाण ऑनलाइन हाजरी से मिला।
- उप प्रमुख ने जताई अनभिज्ञता
पूरे मामले में जब सिमरी प्रखंड के उप प्रमुख चंदन कुंवर से संपर्क किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें निलंबन समाप्त करने की कार्रवाई की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीडीओ ने न तो उनसे बैठक बुलाने को लेकर संपर्क किया और न ही किसी प्रकार की जानकारी साझा की। उप प्रमुख ने चेतावनी दी कि यह मुद्दा आगामी बीस सूत्री समिति की बैठक में उठाया जाएगा ताकि यह स्पष्ट हो सके कि बीडीओ ने किन परिस्थितियों में अकेले इतना बड़ा निर्णय लिया।
- चर्चा का विषय बना विभागीय रवैया
एक तरफ जिले के कई शिक्षक निलंबन, सेवांत लाभ या एसीपी जैसी सामान्य प्रक्रियाओं के लिए महीनों तक विभागीय दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर एक विशेष मामले में इतनी तेजी से कार्रवाई होना शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। शिक्षा विभाग और सिमरी बीडीओ की इस कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि नियम-कानून केवल कागज पर हैं और विभागीय अधिकारियों की “मेहरबानी” तय करती है कि किसे राहत मिलेगी और किसे परेशान होना पड़ेगा।
- सवालों के घेरे में विभाग और बीडीओ
इस पूरे प्रकरण में कई सवाल उठ रहे है। सवाल है कि बिना बैठक बुलाए निलंबन तोड़ने का अधिकार बीडीओ को कैसे मिला। उप प्रमुख को दरकिनार कर अकेले निर्णय लेने की मंशा क्या थी। मोबाइल एप पर फर्जी हाजिरी की जांच किए बिना वेतन क्यों जारी किया गया। विभाग के अन्य शिक्षकों के मामलों में महीनों की देरी और इस प्रकरण में चुटकियों में कार्रवाई, क्या यह पक्षपात नहीं है।
- शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर उठ रहे है सवाल
यह पूरा मामला शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। जिस पारदर्शिता और जवाबदेही की अपेक्षा शिक्षा व्यवस्था से की जाती है, वही यहां गायब दिख रही है। नियमों को ताक पर रखकर की गई यह कार्रवाई न केवल विभागीय व्यवस्था पर अविश्वास पैदा करती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि शिक्षा तंत्र में प्रभाव और दबाव ही निर्णायक कारक बन चुके हैं। वहीं, इस प्रकरण से विभागीय अधिकारियों व नियोजन इकाई के बीच तथाकथित दलाल के मजबूत पैठ के प्रमाण भी मिल रहे है। इस संबंध में सिमरी बीडीओ से संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन काट दिया, जिससे उनका पक्ष नहीं लिया जा सका। जबकि सिमरी बीईओ त्रिलोकीनाथ पांडेय ने बताया कि उनके उपस्थिति के आधार पर अपसेंटी भेजी गई थी।
बयान
निलंबित शिक्षिका का वेतन भुगतान प्रखंड से आई अपसेंटी के आधार पर की गई थी। मोबाईल ऐप पर एक ही फोटो से हाजिरी बनाया जाना, जांच का विषय है। सोमवार को कार्यालय आकर डाटा देखने के बाद ही इस विषय पर कुछ कहा जा सकता है। ऐसे फर्जीवाड़ा साबित होने पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। - विष्णुकांत राय, डीपीओ, स्थापना, बक्सर