फर्स्ट आइडिया के चयन पर लटकी तलवार, शिक्षा विभाग में हड़कंप

बक्सर के शिक्षा विभाग में हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के चयन पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अब इस एजेंसी का चयन रद्द होने की स्थिति बन गई है। जिलाधिकारी डॉ. विद्यानंद सिंह ने इस मामले में कठोर रुख अपनाते हुए शिक्षा विभाग से मूल संचिका की मांग की है। संचिका की मांग होते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।

फर्स्ट आइडिया के चयन पर लटकी तलवार, शिक्षा विभाग में हड़कंप

-- जांच रिपोर्ट ने बताया चयन नियमविरुद्ध, जिलाधिकारी के फैसले पर टिकी निगाहें

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सर के शिक्षा विभाग में हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के चयन पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अब इस एजेंसी का चयन रद्द होने की स्थिति बन गई है। जिलाधिकारी डॉ. विद्यानंद सिंह ने इस मामले में कठोर रुख अपनाते हुए शिक्षा विभाग से मूल संचिका की मांग की है। संचिका की मांग होते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।

बता दें कि बक्सर सांसद सुधाकर सिंह के पत्र के आधार पर जिलाधिकारी ने अपर समाहर्ता (विभागीय जांच) गिरिजेश कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए साफ लिखा कि फर्स्ट आइडिया का चयन नियमों के विरुद्ध किया गया। इसके पहले शिक्षा विभाग की ओर से गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने भी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि जेकेएसबी को बिना ठोस कारण के तीन प्रखंडों नावानगर, डुमरांव और इटाढ़ी से हटाकर फर्स्ट आइडिया को मनमाने तरीके से चयन किया गया।

-- डीएम ने मांगी मूल संचिका, शिक्षा विभाग में मची अफरा-तफरी

तीन सितंबर को जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधिकारी ने फर्स्ट आइडिया से संबंधित मूल संचिका तलब की है। चार सितंबर को ही विकास शाखा ने बक्सर के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को निर्देश जारी कर 24 घंटे में संचिका उपलब्ध कराने को कहा है।यह कदम शिक्षा विभाग के लिए किसी झटके से कम नहीं रहा। अब स्थिति यह बन गई है कि फर्स्ट आइडिया का चयन कभी भी रद्द किया जा सकता है।

-- पूर्व डीईओ पर गंभीर आरोप

मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी की भूमिका सबसे संदिग्ध मानी जा रही है। आरोप है कि उन्होंने बिना ठोस कारण बताए और एकरारनामे की शर्तों को दरकिनार करते हुए जेकेएसबी की जगह फर्स्ट आइडिया का चयन कर लिया। सूत्रों के मुताबिक यह निर्णय विभाग के भीतर सक्रिय तथाकथित माफियाओं के दबाव में लिया गया था। यही कारण है कि चयन प्रक्रिया शुरू से ही विवादों में रही। इस प्रमाण पूर्व डीईओ अमरेन्द्र पांडेय द्वारा जिलाधिकारी को दिए एक पत्र से भी मिलता है कि फर्स्ट आइडिया का संबंध तथाकथित शिक्षा माफिया से है।

-- डीपीओ पर भी उठे सवाल

तत्कालीन डीपीओ नाजिश अली की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। वहीं, जांच प्रक्रिया के दौरान फर्स्ट आइडिया को भुगतान से जुड़ा मामला सामने आने पर वर्तमान स्थापना डीपीओ विष्णुकांत राय पर भी उंगलियां उठ रही हैं। यानी पूरी चयन और भुगतान प्रक्रिया में कई स्तरों पर गड़बड़ियों की आशंका है।

-- प्रशासनिक कार्रवाई पर सबकी निगाहें

जांच रिपोर्ट और संचिका की मांग के बाद अब शिक्षा विभाग के अधिकारियों व आम नागरिकों की निगाहें जिलाधिकारी के फैसले पर टिकी हुई हैं। जिलेभर में चर्चा का विषय यही है कि जिलाधिकारी आखिर कब और क्या निर्णय लेते हैं। जांच में चयन को नियमविरुद्ध पाए जाने के बाद एजेंसी का चयन रद्द होना तय माना जा रहा है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई करेगा या केवल एजेंसी का चयन रद्द कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देगा।

-- शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

फिलहाल जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी सकते में हैं। कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है और उन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। विभाग के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि जैसे-जैसे संचिका से जुड़ी जानकारी सामने आएगी, वैसे-वैसे नए नाम भी उजागर हो सकते हैं।

-- लोगों में बढ़ी उत्सुकता

इस मामले ने जिले के आम लोगों का ध्यान भी खींच लिया है। लोग अब जानना चाहते हैं कि जिलाधिकारी किस स्तर तक जाकर कार्रवाई करेंगे। जिले के राजनीतिक हलकों से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक हर जगह यही चर्चा है कि शिक्षा विभाग की इस गड़बड़ी को लेकर जिलाधिकारी कितना कठोर कदम उठाते हैं।

बता दें कि यह मामला सिर्फ एक एजेंसी के चयन तक सीमित नहीं है, बल्कि बक्सर के शिक्षा विभाग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहा है। जांच रिपोर्टों ने साफ कर दिया है कि नियमों की अनदेखी हुई है। अब देखना यह है कि जिलाधिकारी डॉ. विद्यानंद सिंह इस गड़बड़ी के लिए केवल फर्स्ट आइडिया को जिम्मेदार मानते हैं या फिर पूरे तंत्र में फैले दोषियों को भी कटघरे में खड़ा करते हैं।