जल्द ही गोकुल जलाशय एक नये रूप में देखने को मिलेगा - पर्यावरण मंत्री

ब्रह्मपुर व चक्की प्रखंड के दियारा क्षेत्र के विशाल भू-भाग पर फैले गोकुल जलाशय के दिन अब बहुरने वाले है। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उदेश्य से अब इसके किनारे रेस्क्यू सेंटर, इंटरप्रिटेंशन सेंटर व टूरिस्ट हब बनाया जाएगा।

जल्द ही गोकुल जलाशय एक नये रूप में देखने को मिलेगा - पर्यावरण मंत्री

- पर्यावरण मंत्री ने गोकुल जलाशय के सौंदर्यीकरण के अद्यतन स्थिति की समीक्षा कर दिए आवश्यक निर्देश

- पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए गोकुल जलाशय के समीप बनने वाला है रेस्क्यू सेंटर इंटरप्रिटंेशन सेंटर और टूरिस्ट हब

केटी न्यूज/ब्रह्मपुर

ब्रह्मपुर व चक्की प्रखंड के दियारा क्षेत्र के विशाल भू-भाग पर फैले गोकुल जलाशय के दिन अब बहुरने वाले है। पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उदेश्य से अब इसके किनारे रेस्क्यू सेंटर, इंटरप्रिटेंशन सेंटर व टूरिस्ट हब बनाया जाएगा। 

गुरूवार को बिहार सरकार के पर्यावरण व वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार गोकुल जलाशय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने इसे पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित करने तथा इस उदेश्य से वहां होने वाले रेस्क्यू सेंटर, इंटरप्रिटेंशन सेंटर व टूरिस्ट हब के अद्यतन स्थिति की समीक्षा की तथा कई आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।

बता दें कि गोकुल जलाशय के सौंदर्यीकरण की योजना राज्य सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इस मामले में जिला प्रशासन की कवायद भी शुरू हो गई है। पूर्व में डीएम अंशुल अग्रवाल ने इसका निरीक्षण कर इसे पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित करने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया था, वहीं, अब खुद राज्य सरकार के पर्यावरण मंत्री के बाद अब पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने स्थलीय निरीक्षण किया।

इस दौरान उन्होंने जलाशय की वर्तमान स्थिति, पारिस्थितिकीय संतुलन एवं संरक्षण कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। मौके पर मौजूद स्थानीय अधिकारियों के साथ बातचीत कर उन्होंने जलाशय क्षेत्र के सतत विकास, जलस्रोतों के संरक्षण एवं स्थानीय जीव-जंतुओं के आवासीय परिवेश को संरक्षित रखने का निर्देश दिए। मंत्री ने कहा कि गोकुल जलाशय जल्द ही एक नया प्रारूप में देखने को मिलेगा। इसकी कार्ययोजना बनाई जा रही है। राज्य सरकार इसे पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित करने के प्रति गंभीर है। इस वर्ष यह काम पूरा हो जाएगा।

बोले वनरक्षण पदाधिकारी गोकुल जलाशय का हो रहा है सीमांकन

इस दौरान जिला वनरक्षण पदाधिकारी ने पर्यावरण मंत्री को बताया कि गोकुल जलाशय का सीमांकन कार्य पूरा कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह जलाशय ब्रह्मपुर एवं चक्की प्रखंड क्षेत्र में फैला है। उन्होंने बताया कि चक्की प्रखंड में पड़ने वाले सभी मौजा का सीमांकन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जबकि ब्रह्मपुर प्रखंड में पड़ने वाले इसके भू-भाग का सीमांकन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों को सीमांकन का कार्य शीघ्र पूरा कराने का निर्देश दिया गया हैं। उन्होंने बताया कि सीमांकन कार्य पूरा होने के बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। 

बता दें कि गोकुल जलाशय में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वाटर स्पोर्ट्स, भागड़ में नौका परिचालन, मिथिला हाट की तर्ज पर बाजार सहित अन्य कई पर्यटन की आपार योजनाओं को यहां मूर्त रूप दिया जाएगा। इससे क्षेत्र के लोगों में गोकुल जलाशय के सौंदर्यीकरण और विकास कि आस एक बार फिर जगी है।

विभिन्न प्रजाति के पशु-पक्षियों का सुरक्षित आवास है गोकुल जलाशय

बता दें कि गंगा के समीप व दियारा के गोद में स्थित गोकुल जलाशय कई प्रकार के पशु-पक्षियों का आश्रय स्थल भी है। यहां सर्दी के मौसम में साइबेरियां से आने वाले प्रवासी पक्षियों का महाकुम्भ लगता है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में इस बात की जानकारी मिली थी कि यहां 65 प्रजातियों की लगभग 3500 पक्षी रहते है। जिसमें नॉर्दर्न शोवलर, गार्गेनी, रूडी शेलडक, ऑस्प्रे, केस्ट्रेल, सैंडपाइपर, येलो वैगटेल के साथ-साथ प्रवासी और दुर्लभ प्रजातियों की पक्षी जैसे इजिप्शियन वल्चर (सफेद गिद्ध) भी सम्मिलित हैं। 

बिहार में वर्ष 2022 से लगातार सबसे अधिक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां यहां देखने को मिली है। हाल ही में एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2025 (एशियाई जलपक्षी गणना) की गई। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सदस्य अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में बुधवार-गुरुवार को गोकुल जलाशय और गंगा क्षेत्र में पक्षी गणना की गई।

इस दौरान विभिन्न प्रजातियों के कई प्रवासी पक्षी भी देखे गये, जिनमें नॉर्दर्न शोवलर, गार्गेनी, रूडी शेलडक, ऑस्प्रे, केस्ट्रेल, सैंडपाइपर, येलो वैगटेल आदि प्रमुख रहीं। ऐसे में यह केंद्र पर्यटन के लिहाज से यह एक बड़ा केंद्रबिंदु बन सकता है।