भारत का प्राचीन खेल है कुश्ती, दमखम व कौशल है जीत की कुंजी - एसडीएम

कुश्ती भारत का प्राचीन खेल है। इस खेल में भार शुरू से ही आगे रहा है। बीच के दौर में क्रिकेट के चकाचौंध में इस खेल में गिरावट आई है, लेकिन आज भी यह खेल देशभर में काफी लोकप्रिय हैं। उक्त बातें डुमरांव एसडीएम राकेश कुमार ने रविवार को संत जॉन सेकेन्ड्री स्कूल परिसर में कही। अवसर था बिहार कांबेक्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित स्टेट कांबेक्ट चैंपियनशीप प्रतियोगिता का।

भारत का प्राचीन खेल है कुश्ती, दमखम व कौशल है जीत की कुंजी - एसडीएम

- संत जॉन सेकेन्ड्री स्कूल परिसर में शुरू हुआ राज्य स्तरीय कांबेक्ट पुरूष व महिला कुश्ती प्रतियोगिता 

- एसडीएम व स्कूल निदेशक सह बिहार कांबेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. रमेश सिंह ने फीता काट किया उद्घाटन, पहलवानों के दांव-पेंच अजमाए दांव-पेंच  

केटी न्यूज/डुमरांव

कुश्ती भारत का प्राचीन खेल है। इस खेल में भार शुरू से ही आगे रहा है। बीच के दौर में क्रिकेट के चकाचौंध में इस खेल में गिरावट आई है, लेकिन आज भी यह खेल देशभर में काफी लोकप्रिय हैं। उक्त बातें डुमरांव एसडीएम राकेश कुमार ने रविवार को संत जॉन सेकेन्ड्री स्कूल परिसर में कही। अवसर था बिहार कांबेक्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित स्टेट कांबेक्ट चैंपियनशीप प्रतियोगिता का। 

एसडीएम ने कहा कि कुश्ती का खेल युवाओं के लिए काफी जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस खेल में दमखम, फुर्ती व कौशल की जरूरत पड़ती है। कुश्ती लड़ने वाले पहलवान शारीरिक रूप से काफी मजबूत होते है। उन्होंने पहलवानों को प्रेरित करते हुए नियमित व्यायाम व खान पान पर ध्यान देने की जरूरत बताई। 

एसडीएम ने कहा कि पहले खेलकूद को बेकार समझा जाता था, लेकिन अब खेलकूद कैरियर निर्माण में सहायक हो रहे है। उन्होंने इस आयोजन के लिए डॉ. रमेश सिंह को साधुवाद दिया और कहा कि आज के दौर में इस खेल को संरक्षित करना इसे आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है। 

कांबेक्ट कुश्ती में पहलवानों को नहीं रहता है चोटिल होने का डर- डॉ. रमेश सिंह

वहीं, अपने संबोधन में बिहार कांबेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सह संत जॉन सेकेन्ड्री स्कूल के निदेशक डॉ. रमेश सिंह ने कहा कि कांबेक्ट कुश्ती का एक नया रूप है। इसमें पहलवान दांव-पेंच अजमाते है, लेकिन इसके कुछ नियम ऐसे बनाए गए है, जिससे पहलवानों के चोटिल होने का खतरा काफी कम रहता है।

उन्होंने कहा कि कुश्ती की इस विधा में पहलवानों को एक दूसरे के गर्दन के उपर छूने या पकड़ने की इजाजत नहीं होती है, ऐसा करने पर फाउल माना जाता है। उन्होंने कहा कि इस विधा में गलती करने पर पहलवानों को व्हाइट, येलो व रेड कार्ड दिखाया जाता है। इसके अलावे भी उन्हांेने इस खेल की बारीकियों से लोगों को अवगत कराया।

डॉ. सिंह ने कहा कि इस खेल को पूरे देश में बढ़ावा देना मेरा पहला उदेश्य है। इसके लिए सघन प्रतियोगिताएं करवाई जा रही है। पहलवानों को कुश्ती के इस नई विधा से परिचित करवाया जा रहा है, उन्हें इस खेल के नियमों की जानकारी भी दी जा रही है।

तीन स्तर की कराई जा रही है प्रतियोगिता

स्टेट चैंपियनशीप कांबेक्ट प्रतियोगिता के तहत तीन स्तर की कुश्ती करवाई जा रही है। जिसमें सीनियर, जुनियर व सब जुनियर प्रतियोगिता शामिल है। यह तीनों स्तर पुरूष व महिला दोनों पहलवानों के लिए तय किया गया है। इसका निर्धारण पहलवानों के आयु वर्ग व वजन के आधार पर किया गया है। 

वहीं, सभी विधाओं के विजेता सीधे नेशनल चैंपियनशीप के लिए क्वालीफाई करेंगे। प्रतियोगिता के लिए करीब 150 महिला व पुरूष पहलवान पहुंचे है। पहलवानों का उत्साह देखते ही बन रहा था।

देर रात तक जारी रहा प्रतियोगिता

उद्घाटन समारोह शुरू होते ही कुश्ती प्रतियोगिता शुरू कराई गई। इसकी शुरूआत पुरूष सीनियर वर्ग के पहलवानों से हुई। वहीं, देर रात तक पहलवानों के बीच दांव-पंेच का खेल चलते रहा। समाचार लिखे जाने तक दर्जनों पहलवान दांव पेंच अजमा चुके थे। कईयों ने अपनी प्रतिभा व खेल कौशल के अलावे दमखम से मौजूद लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। पहलवानों के हर बेहतर दांव पर दर्शक जोरदार तालियां बजा उनका हौसला अफजाई कर रहे थे।

बतौर रेफरी बिहार कांबेक्ट एसोसिएशन के चिंतामणी चक्रधारी, धीरज चौहान व मुनजी पासवान मौजूद थे। वहीं, उदघाटन मुकाबले के दौरान रामचरण सिंह, छोटू सिंह, सोनू राय, राजवी रंजन सिंह उर्फ रवि सिंह समेत सैकड़ो की संख्या में गणमान्य व पहलवान मौजूद थे। 

कई नामी गिरामी पहलवान कर रहे है शिरकत

इस स्टेट चैंपियनशीप में कांबेक्ट के कई नामी गिरामी पहलवान शिरकत कर रहे है। उनमें धर्मराज पहलवान, विजय पहलवान, हृदया पहलवान, अशोक चौबे पहलवान, रामचंद्र पहलवान, अशोक पहलवान समेत पटना, बक्सर, रोहतास, भोजपुर, गया आदि कई जिलों के पहलवान शामिल हुए है।