बिहार राज्य मास्टर तैराकी चैंपियनशिप में बक्सर के बिजेंद्र सिंह ने जीते चार गोल्ड मेडल
पटना के राजेंद्रनगर स्थित चंद्रगुप्त जल विहार तरणताल में बिहार तैराकी संघ द्वारा आयोजित राज्य मास्टर तैराकी प्रतियोगिता 2024 में बक्सर जिले के अंतरराष्ट्रीय तैराक कैप्टन बिजेंद्र सिंह ने शानदार प्रदर्शन किया।
केटी न्यूज़/बक्सर
बक्सर। पटना के राजेंद्रनगर स्थित चंद्रगुप्त जल विहार तरणताल में बिहार तैराकी संघ द्वारा आयोजित राज्य मास्टर तैराकी प्रतियोगिता 2024 में बक्सर जिले के अंतरराष्ट्रीय तैराक कैप्टन बिजेंद्र सिंह ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रतियोगिता में 50 मीटर, 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर फ्री स्टाइल तैराकी में चार गोल्ड मेडल जीतकर नेशनल प्रतियोगिता में अपनी जगह बनाई।
कैप्टन बिजेंद्र सिंह, जो अब तक 400 से अधिक मेडल विभिन्न तैराकी प्रतियोगिताओं में जीत चुके हैं, वर्तमान में बिहार तैराकी संघ में चीफ कोच का दायित्व संभाल रहे हैं। 2008 में सेवानिवृत्त होने के बाद, वे अपने पैतृक गांव सपही में ग्रामीण युवाओं को तैराकी के लाभ और जरूरतों के बारे में जागरूक करते हैं और फ्री में तैराकी सिखाते हैं। अब तक वे 300 से अधिक युवाओं को तैराकी सिखा चुके हैं, जिनमें से कई सरकारी नौकरियों में भी शामिल हो चुके हैं।
हालांकि संसाधनों की कमी है, वे गोकुल जलाशय में युवाओं को तैराकी सिखा रहे हैं। कैप्टन बिजेंद्र का मानना है कि यदि गोकुल जलाशय का विकास तरणताल के रूप में किया जाए, तो इससे पर्यटन, खेल और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
राज्यस्तरीय मास्टर तैराकी चैंपियनशिप में चार गोल्ड मेडल जीतने पर कैप्टन बिजेंद्र को बधाई देने वालों का तांता लग गया। इस मौके पर डुमराँव महाराज चन्द्रविजय सिंह, सांसद सुधाकर सिंह, डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. वीके सिंह, सैनिक संघ के अध्यक्ष रामनाथ सिंह, रेलयात्री कल्याण समिति के अध्यक्ष सुधीर सिंह, भाजपा नेता चुनु सिंह और समाजसेवी राजीव सिंह जैसे कई लोग शामिल थे।
कैप्टन बिजेंद्र सिंह पहले भी अंतरराष्ट्रीय रेफरी रह चुके हैं और दस वर्षों तक आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के वाटर पोलो खेल में विश्व स्तर पर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1986 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में भाग लेकर उन्होंने सवर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इसके अलावा, वे 15 किलोमीटर की लांग डिस्टेंस नेशनल तैराकी चैंपियनशिप में लगातार दो बार गोल्ड मेडलिस्ट रहे और 1987 में सेना द्वारा विशेष पुरस्कार से सम्मानित किए गए।