शिव शक्ति महायज्ञ सह 36वां नवाह पारायण मानस महायज्ञ समारोह का आयोजन
रोहतास जिला के दावथ प्रखंड अंतर्गत देवढ़ी धाम स्थित हजारों वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक धार्मिक स्थल पावन देवढ़ी धाम बाबा सिद्धेश्वर नाथ जी भोले बाबा के प्रांगणमें प्रति वर्ष कि भाति इस वर्ष भी 17 फरवरी दिन सोमवार से शिव शक्ति महायज्ञ सह 36वां नवाह पारायण मानस महायज्ञ समारोह का आयोजन किया गया है। यह आयोजन बाबा सिद्धेश्वर नाथ कल्याण चौरिटेबल ट्रस्ट देवढ़ी धाम के सौजन्य से किया गया है।
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केटी न्यूज/दावथ
रोहतास जिला के दावथ प्रखंड अंतर्गत देवढ़ी धाम स्थित हजारों वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक धार्मिक स्थल पावन देवढ़ी धाम बाबा सिद्धेश्वर नाथ जी भोले बाबा के प्रांगणमें प्रति वर्ष कि भाति इस वर्ष भी 17 फरवरी दिन सोमवार से शिव शक्ति महायज्ञ सह 36वां नवाह पारायण मानस महायज्ञ समारोह का आयोजन किया गया है। यह आयोजन बाबा सिद्धेश्वर नाथ कल्याण चौरिटेबल ट्रस्ट देवढ़ी धाम के सौजन्य से किया गया है।
जिसमें निवेदक की भूमिका हरि ओं सत्संग समिति एवं समस्त क्षेत्रीय ग्रामीण जनता निभा रहे हैं। इसके तहत 17 फरवरी दिन सोमवार जल कलश एवं शोभा यात्रा, 18 फरवरी मंगलवार को पंचांग पूजन दशाविधि स्नान एवं मंडप प्रवेश, 19 फरवरी बुधवार को मंडप पूजन व अग्नि प्रवेश, 26 फरवरी बुधवार को महाशिवरात्रि पूर्णाहूती तथा 27 फरवरी गुरुवार को ब्रह्मपुत्र एवं भंडारा कार्यक्रम संपन्न होगा।
इसके साथ प्रतिदिन मंत्र ध्वनि तथा देव पूजन प्रातः 7 बजे से 11 बजे तक, नित्य हवन एवं सायं आरती। संतवाड़ी प्रवचन आदि कार्यक्रम चल रहा है। कार्यक्रम में यज्ञ कर्ता की भूमिका श्री श्री 108 संत श्री अमर दास त्यागी जी महाराज मौनी बाबा द्वारा निभाई जा रही है।
जिसमें आचार्य की भूमिका आचार्य मनजीत जी आदि निभा रहे हैं। साथ ही प्रतिदिन बुधवार दोपहर बाद 1 बजे से 4 बजे तक आचार्या सुश्री किशोरी प्रज्ञा पांडे अयोध्या धाम के द्वारा सरस संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा चल रहा है।
जिसमें सहयोगी के रूप में भजन गायिका सृष्टि नारायण द्वारा निभायी जा रहा है। साथ ही नाल पर उमाशंकर, बैंजो पर छठू, जोड़ी पर अखिलेश पांडे आदि संगत दे रहे हैं। प्रथम दिन किशोरी प्रज्ञा पांडे द्वारा श्रोताओं के बीच महात्मय की कथा प्रस्तुत की गई। आगे उन्होंने कहा कि संसार के लोग मैं-मैं या मेरा अपना करते हैं। चाहे वह पुत्र पत्नी सगे संबंधी हो या कोई अपना हो स्वयं हमारा शरीर ही अपना नहीं है।
इसलिए जीवन में अहम् बहुत खतरनाक होता है। जिस प्रकार अहम् एक संस्कृत शब्द है। अहम् का अर्थ है संस्कृत में मैं, वही एक प्रकार से अहंकार होता है। अहम् का मतलब मैं और एक दूसरा अर्थ अहंकार भी। और सबसे जरूरी होता है
जीवन में त्याग करना। तो एक मात्र अहंकार जिसने अहंकार त्याग कर लिया वही सर्वत्र पूजनीय होता है। उसी को सब कुछ प्राप्त होता है। और वही सफल होता है। कथा का समापन 26 फरवरी दिन बुधवार को होगा।