यज्ञ से शुद्ध होता है वातावरण, आती है सुख, शांति व समृद्धि - जीयर स्वामी जी महाराज
केसठ गांव में चल रहे दिव्य शत चंडी महायज्ञ एवं मां काली प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के छठवें दिन भक्तों की आस्था और श्रद्धा का विशेष संगम देखने को मिला।स् थानीय गांव की पावन धरती इन दिनों धार्मिक आस्था और भक्ति की ज्योति से आलोकित हो रही है।

शत चंडी महायज्ञ का छठा दिन रहा विशेष, पहुंचे अंतर्राष्ट्रीय संत जियर स्वामीजी महाराज
- महायज्ञ में पूरे दिन चलते रहे हवनादि समेत विविध धार्मिक अनुष्ठान, मंडप परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं में मची रही होड़
केटी न्यूज/केसठ
केसठ गांव में चल रहे दिव्य शत चंडी महायज्ञ एवं मां काली प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के छठवें दिन भक्तों की आस्था और श्रद्धा का विशेष संगम देखने को मिला।स् थानीय गांव की पावन धरती इन दिनों धार्मिक आस्था और भक्ति की ज्योति से आलोकित हो रही है।
मां काली और जगत जननी जगदंबा की कृपा से यह भूमि एक विशाल शतचंडी महायज्ञ एवं मां काली प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का साक्षी बन रही है। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठानों की दिव्य धारा बह रही है, जहां श्रद्धालु आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो रहे है। इस महायज्ञ का नेतृत्व जगदीश्वर संत श्री दीनदयाल दास उर्फ बालक दास जी महाराज कर रहे हैं।
कार्यक्रम का समापन 9 मई को प्राण प्रतिष्ठा, पूर्णाहूति एवं भव्य भंडारे के साथ संपन्न होगा। यज्ञ के दौरान प्रतिदिन वृंदावन आदि स्थलों से आए विद्वान कथा वाचक श्रीमद्भागवत कथा व श्रीरामचरितमानस की अमृतवाणी से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर रहे है।
जीयर स्वामी जी महाराज का भव्य आगमन
इसी कड़ी में मंगलवार को यज्ञ स्थल पर भक्तों की आस्था उस समय चरम पर पहुंच गई जब इस महायज्ञ में जगदाचार्य श्रीमद् विश्वक्सेनाचार्य श्री त्रिदण्डी स्वामी जी महाराज के परम शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज का आगमन हुआ। उनके स्वागत के लिए आयोजकों द्वारा यज्ञ स्थल को भव्य रूप से सजाया गया था। उनके पहुंचने से पहले ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।
जैसे ही स्वामी जी यज्ञ स्थल पहुंचे, फूल-मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया गया और जय श्रीमन नारायण के जयघोषों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। लगभग आधे घंटे तक स्वामी जी महाराज वहां रुके तथा अपने दिव्य प्रवचनों से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान का अमृत पान कराया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि दान जीवन का आधार है। जो व्यक्ति सौ रुपये में से दस रुपये भी दान करता है, वहीं धन्यवाद का पात्र होता है।
उन्होंने संत दर्शन की महिमा पर प्रकाश डालते हुए श्रीमद्भागवत पुराण के कथा का उदाहरण दिये कि संतों के दर्शन से वह पुण्य प्राप्त होता है, जो तीर्थवास, गंगास्नान, देवदर्शन, यज्ञ व तपस्या से मिलता है। स्वामी जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की और उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान का संचार किया। उन्होंने अपने प्रवचन में बताया कि शत चंडी महायज्ञ से न केवल वातावरण शुद्ध होता है,
बल्कि समाज में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं ने मां काली के दर्शन कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना की। यज्ञ मंडप में गूंजते वेद मंत्र, हवन की अग्नि और श्रद्धालुओं की आस्था से पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा।
आस्था का पर्व बना केसठ
स्वामी जी के आगमन से पूरे क्षेत्र में भक्ति का विशेष वातावरण बन गया था। लोगों के चेहरों पर उल्लास साफ झलक रहा था। यह महायज्ञ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि जनमानस के आध्यात्मिक उत्थान का माध्यम भी बन हुआ है।