पुराना भोजपुर पहुंचे पीके बोले....... अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट दें

जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के पुराना भोजपुर खेल मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया। आयोजित सभा में पीके ने हजारों की भीड़ के सामने मौजूदा राजनीतिक परंपरा पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अब तक नेताओं के चेहरों को देखकर वोट देते आए हैं, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य को कभी तरजीह नहीं दी। सभा में पीके ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि मोदी का चेहरा देखकर वोट दिया तो चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन गया, नीतीश का चेहरा देखकर वोट दिया तो वैद्य का बेटा 20 साल से मुख्यमंत्री है

पुराना भोजपुर पहुंचे पीके बोले....... अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट दें

-- भारी भीड़ के बीच बिहार बदलाव यात्रा में पीके का तीखा हमला, पेंशन और शिक्षा पर किए बड़े वादे

-- पुराना भोजपुर के खेल मैदान में आयोजित हुआ था पीके की जनसभा

केटी न्यूज/डुमरांव

जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को डुमरांव विधानसभा क्षेत्र के पुराना भोजपुर खेल मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया। आयोजित सभा में पीके ने हजारों की भीड़ के सामने मौजूदा राजनीतिक परंपरा पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अब तक नेताओं के चेहरों को देखकर वोट देते आए हैं, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य को कभी तरजीह नहीं दी। सभा में पीके ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि मोदी का चेहरा देखकर वोट दिया तो चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन गया, नीतीश का चेहरा देखकर वोट दिया तो वैद्य का बेटा 20 साल से मुख्यमंत्री है, लालू का चेहरा देखकर वोट दिया तो भैंस चराने वाला 30 साल तक सत्ता में रहा। लेकिन आपने अपने बच्चों का चेहरा देखकर वोट कब दिया।

उन्होंने कहा कि नेताओं के बच्चों का भविष्य तो सुरक्षित है, लेकिन गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे बेरोजगारी और गरीबी के दलदल में फंसे हुए हैं। लालू का बेटा 9वीं पास नहीं, फिर भी मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी है, जबकि गांव के पढ़े-लिखे एमए, बीए पास नौजवान नौकरी के लिए भटक रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता है।

-- 56 इंच का सीना, लेकिन बच्चों का सीना 15 इंच

पीके ने लोगों को चेताते हुए कहा कि मोदी के लिए 56 इंच सीने पर वोट दिया, लेकिन अपने बच्चों का सीना भूख और बेरोजगारी से 15 इंच का हो गया है। पैरों में चप्पल नहीं, तन पर ढंग का कपड़ा नही, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वे तीन साल से बिहार के गांव-गांव घूम रहे हैं और हर जगह एक जैसी पीड़ा देख रहे हैं, नेताओं की शान में वोट, लेकिन बच्चों की हालत पर चुप्पी।

पेंशन और शिक्षा पर बड़ा ऐलान

सभा में पीके ने दो बड़ी घोषणाएं कीं। उन्होंनेे कहा कि यदि हमारी सरकार बनी तो दिसंबर 2025 से 60 वर्ष से ऊपर के हर महिला और पुरुष को 2000 रुपये मासिक पेंशन।वहीं, उन्होंने शिक्षा योजना पर घोषणा करते हुए कहा कि जब तक सरकारी स्कूलों का स्तर सुधर नहीं जाता, तब तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने की व्यवस्था और फीस सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गरीब का बच्चा भी अंग्रेजी मीडियम में पढ़ेगा, ताकि उसका भविष्य मजबूत हो। पीके ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी बिहार से वोट लेकर गुजरात में फैक्ट्री लगवाते हैं, जहां हमारे युवक 10-12 हजार में मजदूरी करते हैं। नीतीश 20 साल से सत्ता में हैं, लेकिन युवाओं का भविष्य अंधकार में है। उन्होंने कहा कि लालू यादव का पूरा ध्यान परिवार को सत्ता में बनाए रखने पर है।

 मतदाता सूची पर आरोप

मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर पीके ने आरोप लगाया कि भाजपा और नीतीश सरकार गरीब प्रवासी मजदूरों का नाम वोटर लिस्ट से कटवाने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी की विफलता और गरीबों पर हो रहे अन्याय को छुपाने के लिए सरकार गरीबों की आवाज खत्म करना चाहती है। पीके ने दावा किया कि इस साल बिहार की बदहाली की आखिरी दिवाली और छठ होगी। इसके बाद बिहार के किसी युवक को मजदूरी के लिए गुजरात, पंजाब या दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा।

 जनता में दिखा जोश

सभा स्थल पर सुबह से ही भीड़ जुटने लगी थी। दूर-दराज के गांवों से लोग ट्रैक्टर, बाइक और पैदल पहुंचे। बदलाव चाहिए, बिहार में जन सुराज के नारे गूंजते रहे। पीके के भाषण के दौरान कई बार तालियों और जयकारों से मैदान गूंज उठा। सभा खत्म होने के बाद भी लोग उनसे मिलने, सेल्फी लेने और अपनी समस्याएं बताने के लिए रुके रहे। कई युवाओं ने रोजगार योजनाओं पर विस्तृत जानकारी भी मांगी।

 बदलाव के लिए अपील

अंत में पीके ने हाथ जोड़कर कहा कि इस बार वोट देने से पहले अपने बच्चों का चेहरा देखना। अगर वे पढ़ाई कर रहे हैं, रोजगार पा रहे हैं और बिहार में ही सुरक्षित हैं, तो पुरानी राजनीति को वोट दें। अगर नहीं, तो बदलाव के लिए जन सुराज को मौका दें।