बच्चियों को एचपी वायरस के बचाने के लिए सात फरवरी से शुरू होगा विशेष टीकाकरण
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य सरकार और स्वास्थ्य समिति ने ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
- 9 से लेकर 14 वर्ष की किशोरियों को टीकाकृत करने का बनाई गई रणनीति
- एचपीवी टीका को लेकर समुदाय में लोगों को जागरूक करने के लिए सीएचओ का किया गया उन्मुखीकरण
केटी न्यूज/बक्सर
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामले को देखते हुए राज्य सरकार और स्वास्थ्य समिति ने ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस क्रम में जिले में सात फरवरी से सदर अस्पताल में टीकाकरण शिविर लगाया जाएगा। जिसमें 9 से लेकर 14 वर्ष की किशोरियों को एचपीवी का टीका लगाया जाएगा। ताकि, चिकित्सकों की मौजूदगी में बच्चियों को टीकाकृत किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित कर बच्चियों को सदर अस्पताल में लाने का निर्णय किया है।
वहीं, अभियान को सफल बनाने के लिए शनिवार को जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में सभी प्रखंडों से चयनित दो-दो सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) का उन्मुखीकरण किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने सीएचओ को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले कुछ सालों में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 70 फीसदी ओरल कैंसर के मामले सिर्फ एचपीवी के कारण हो रहे हैं। वहीं, यौन संपर्क से फैलने वाले इस संक्रमण से पेनाइल कैंसर व गुदा कैंसर के साथ साथ सर्वाइकल कैंसर होने का भी खतरा सबसे अधिक रहता है। जो लोगों के लिए खतरनाक है। इसलिए लोगों को इन बीमारियों से बचाने के लिए सरकार ने टीकाकरण करने का निर्णय लिया है।
टीकाकरण से 90 प्रतिशत तक सर्वाइकल कैंसर के मामलों में बचाव संभव
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सिंह ने बताया कि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीकाकरण से लगभग 90 प्रतिशत तक सर्वाइकल कैंसर के मामलों से बचाव संभव है, साथ ही यह एचपीवी संक्रमण से संबंधित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी सुरक्षित रखने में सहायक होता है। इसलिए अभियान में बालिकाएं जिनका उम्र 9 से 14 आयु वर्ग के बीच है। उनको टीकाकृत किया जाएगा। इन सब में यह बात ध्यान रखना है
कि जो बच्चियां 14 साल की उम्र की दहलीज पर हैं उनका काउंसलिंग बेहद जरूरी है। क्योंकि 15 साल की उम्र के बाद बच्चियों को इस एचपीवी का टीका लगाना व्यर्थ है। उन्होंने बताया कि यह टीका गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से बचाव को कम करने में बेहद प्रभावी है। इसलिए बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से बचाव को लेकर टीकाकरण आवश्यक है। कैंसर से सुरक्षित रहने और संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण एक समझदारी भरा कदम है। सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा या बच्चेदानी के मुंह का कैंसर) एक गंभीर बीमारी है।
सीएचओ स्कूली बच्चियों को करेंगी जागरूक, बताएंगी टीके के फायदे
यूनिसेफ के एसएमसी कुमुद मिश्रा ने सभी सीएचओ को बताया कि सरकार ने टीकाकरण से पूर्व निर्धारित उम्र वर्ग की बच्चियों को जागरूक करने का निर्णय लिया है। जिसमें सीएचओ की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस उम्र वर्ग की बच्चियों में किसी भी चीज को लेकर एक डर बना रहता है। ऐसे में सीएचओ अपने क्षेत्र के आशा कार्यकर्ताओं की मदद स्कूली बच्चियों का काउंसिलिंग करेंगी। ताकि, उन्हें भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों के खतरे और एचपीवी टीका के महत्व की जानकारी दी जा सके। उन्होंने बताया कि इस मामले में विभागीय निर्देशों के तहत स्कूलों में पैरेंट टीचर मीट का भी आयोजन किया जाएगा।
ताकि, स्कूल और बच्चियों का चयन करने से पहले संबंधित विद्यालयों के प्राचार्य व शिक्षकों के साथ ही बच्चियों के अभिभावकों के साथ समन्वय स्थापित कर गर्भाशय कैंसर से बचाव और सुरक्षित रखने के लिए एचपीवी टीका को लेकर जागरूक किया जा सके। इसके लिए जिले के कुछ स्कूलों से समन्वय स्थापित किया जा चुका है। इन स्कूलों की बच्चियों को सात अक्टूबर को टीकाकरण किया जाना है।कार्यशाला में यूएनडीपी के कोल्ड चेन मैनेजर मनीष श्रीवास्तव, डाटा ऑपरेटर शशि कुमार सिंह, सीएफएआर के सीनियर प्रोजेक्ट एसोसिएट अमित सिंह के अलावा सीएचओ मौजूद रहीं।