सफई एनजीओ की मनमानी मामला उठेगा विधान सभा में-विधायक

सफई एनजीओ की मनमानी मामला उठेगा विधान सभा में-विधायक

- विधायक ने अनुमंडलीय अस्पताल का किया निरीक्षण, मिली कई अनियमितताएं

- अस्पताल प्रबंधन को एक सप्ताह के भीतर सफाई मजदूरों के भुगतान करने का दिया निर्देश

केटी न्यूज/डुमरांव  

अनुमंडलीय अस्पताल में ओपीडी संचालन एवं सफाई के लिए नियुक्त आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा जारी अनियमितता की मिल रही शिकायत को लेकर डुमरांव विधायक अजीत कुशवाहा ने बुधवार को औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान महिला सफाई कर्मियों ने बताया कि अनुमंडल अस्पताल के नियम के अनुसार 22 सफाई कर्मियों का पद सृजित है, लेकिन काम लिया जाता है

सिर्फ 12 मजदूरों से। जबकि महिला मजदूरों से तीन शिफ्ट में काम कराया जाता है। बाकी मजदूर रखे गए हैं कि नहीं उनका कोई अतापता नहीं रहता है। निरीक्षण के दौरान महिला सफाई कर्मियों ने बताया की सफाई के अलावे अन्य कई काम लिये जाते हैं। जैसे रात्रि में लाइन कटने के बाद जेनरेटर भी इन्हीं से चलवाया जाता है। इतना ही नहीं सफाई एनजीओ द्वारा रखे गए

सुपरवाइजर द्वारा महिला सफाई कर्मियों पर अपमानजनक टिप्पणी भी की जाती है। अस्पताल में कोई मरता है या आपातकालीन स्थिति में कोई आता है तो उनसे शव उठाने के लिए मजबूर किया जाता है। जब महिला सफाई कर्मी इसका विरोध करती हैं तो उन्हें निकाल दिया जाता है। हाल फिलहाल में तीन महिला सफाई मजदूरों को निकाला भी जा चुका है। निकाली गई महिला मजदूर भी वहीं मौजूद थी

उन्होंने इसे स्वीकारा भी है। विधायक का कहना था कि अस्पताल में इतनी अनियमितता हो रही है और अस्पताल प्रबंधन चुप बैठा हुआ है। जैसे लगता है कि सभी के मिली भगत से यह सब काम हो रहा है। जांच के दौरान यह बात भी सामने आयी है कि सफाई मजदूरों के वेतन भुगतान में भी भारी अनियमितता है। जिले के उच्च स्तरीय जांच में यह साबित होने के बाद भी आउटसोर्सिंग एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। विधायक ने कहा कि जो भी अस्पताल में अनियमितता मिली है

आने वाले मानसूत्र सत्र में विधान सभा में उठाया जाएगा। विधायक ने प्रबंधन से तीनों मजदूरों को एक सप्ताह के भीतर रखने और भुगतान करने की व्यवस्था कराने को कहा। निरीक्षण कर विधायक के जाने के बाद जब डीएस से बात की गई उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रबंधन को सफाई एनजीओ से कोई मतलब नहीं है। किस एनजीओ के माध्यम से सफाई कर्मियों को रखा गया है, कौन इसका भुगतान करता है, कोई बात की जानकारी अस्पताल को नहीं है। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि सफाई कौन कराता है, कौन भुगतान कराता है तो फिर सफाई की लचर व्यवस्था रहेगी ही।

सफाईकर्मियों का आरोप गंभीर

विधायक के सामने सफाई कर्मियों ने जो आरोप लगाए है वह काफी गंभीर मामला है। बता दें कि इसके पहले भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि अनुमंडलीय अस्पताल में सफाई कर्मियों के लिए 22 सृजित पद है जबकि मात्र 12-14 से ही काम कराया जाता है। जाहिर है अन्य सफाई कर्मियों का पैसा कार्य एजेंसी द्वारा लंबे समय से हड़प लिया जा रहा है। पूर्व में भी इस मामले की पुष्टि हो चुकी है।

बावजूद अबतक उक्त कार्य एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे विभागीय पदाधिकारियों की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में आ गई है। वही जानकारों का कहना है कि बिना अस्पताल प्रबंधन के मिलीभगत के वर्षों से एजेंसी कैसे मजदूरों का शोषण कर सकती है तथा सिर्फ कागजों पर ही आठ मजदूरों का भुगतान कर सकती है। जाहिर है प्रबंधन की कार्यशैली पर बड़ा सवाल उठ रहा है।