प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों ने सीखे मधुमक्खी पालन के गुर
केटी न्यूज/डुमरांव
स्थानीय ई-किसान भवन में तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन विषय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था। भूमि संरक्षण योजना के तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई-जल छाजन विकास कार्यक्रम के अंतिम दिन शनिवार को वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज के वैज्ञानिकों ने किसानों को मधुमक्खी पालन के विषय में दी विस्तृत जानकारी। वैज्ञनिकों ने बताया की इससे जल और पेड़-पौधों का आम जीवन पर कितना महत्व डालता है बताया।
मधुमक्खी पालन को जोड़ते हुए वीर कुंवर सिंह के वैज्ञनिकों ने पेड-पौधों का महत्व कितना है, विस्तार से बताते हुए का मधु कहां से बनता है। उन्होंने बताया की मधु को पूजा-पाठ के साथ मेडिकल में भी काफी प्रयोग होता है। मधु वैसे स्थानों पर अपना छज्जा उस स्थान पर बनाती हैं, जहा बाग, बगीचा और खेत होते हैं। पेड़ों-पौधों के साथ से निकलते पत्तियों और फूलों का रस चूसने के लिये उनके अंदुरूनी भाग में प्रवेश कर जाती हैं।
उसी रस को अपने छज्जे तक लाती हैं, जो मधु बन जाता है। इसलिये जमीन पर पेड़-पौधे नहीं रहेंगे तो मधु का उत्पादन कहां से होगा। उसी तरह से पानी का उपयोग भी मधु बनाने में होता है। मुधमक्खियां नदी, तलाबों, झरनों से भी पानी लेकर मधु बनाने में उपयोग करती हैं।
इसलिये जमीन से इनसबों के नष्ट होने से मधु बनाने में मधुमक्खिया सक्षम नहीं हो पाएगी। इसलिये भूमि संरक्षण में जल छाजन, पेड़-पौधों, नदी, तलाबों का धरती पर संरक्षण बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं किसान इसका उत्पादन कर इसे कमाई का जरिया भी बना सकते हैं।