अनोखी परंपरा, यहां लड़किया धारण करती है यज्ञोपवित
प्रखंड के एक ऐसा गांव, जहां बसंत पंचमी अर्थात सोमवार को जनेऊ संस्कार का आयोजन होगा। खास यह कि जनेऊ संस्कार लड़कों के बजाय लड़कियों की होगी। गांव के दयानंद आर्य हाई स्कूल में लड़कियों की जनेऊ संस्कार की परंपरा पांच दशक से अधिक समय से चली आ रही है। यहां लड़कियां न सिर्फ स्वेक्षा से जनेउ धारण करती है बल्कि उसका निर्वहन भी बखूबी करती है।
- वसंत पंचमी पर मणियां हाईस्कूल में लड़कियों की जनेऊ संस्कार आज, 1972 से चली आ रही है परंपरा
वरुण कुमार/नावानगर
प्रखंड के एक ऐसा गांव, जहां बसंत पंचमी अर्थात सोमवार को जनेऊ संस्कार का आयोजन होगा। खास यह कि जनेऊ संस्कार लड़कों के बजाय लड़कियों की होगी। गांव के दयानंद आर्य हाई स्कूल में लड़कियों की जनेऊ संस्कार की परंपरा पांच दशक से अधिक समय से चली आ रही है। यहां लड़कियां न सिर्फ स्वेक्षा से जनेउ धारण करती है बल्कि उसका निर्वहन भी बखूबी करती है।
सोचने वाली बात है कि आजकल जहां लड़कों में जनेऊ संस्कार की परंपरा खत्म होती जा रही है, वहीं मणियां के हाई स्कूल में लड़कियां जनेऊ धारण करती हैं। जनेऊ धारण करने में स्कूल की छात्राओं के अलावा आस पास गांव की लड़की भी शामिल होती है। यज्ञोपवित संस्कार के आयोजक सिदेश्वर शर्मा ने बताया कि वसंत पंचमी के दिन अर्थात सोमवार को 6 से अधिक लड़कियों की वैदिक परंपरा के साथ पूरे विधि-विधान से जनेऊ संस्कार किया जाएगा। जिसमें विद्यालय के सीनियर छात्रों के अलावा आस पास गांव की लड़कियां भी होगी।
विद्यालय में मां सरस्वती की नहीं रखी जाती प्रतिमा
वसंत पंचमी के दिन शैक्षणिक संस्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमा रख कर पूजा अर्चना धूमधाम से होती है। पर मणियां हाई स्कूल में वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा नहीं रखा जाता है। इस दिन इस विद्यालय पर लड़कियों की यज्ञोपवित संस्कार का आयोजन होती है।
इस आयोजन में लड़कियां आगे बढ़कर विलुप्त हो रही जनेऊ धारण की परंपरा को जिवंत करते देखी जाती है। अपनी सांस्कृति, सभ्यता व परंपरा को इन लड़कियों से सीख लेनी चाहिए।
मनाही होती है कन्या के द्वारा जनेऊ धारण
हिंदू धर्म में वैसे तो कन्या के द्वारा जनेऊ धारण करने की मनाही है। इसके बावजूद लगभग 6 दशकों से मणियां हाई स्कूल में कन्याओं को जनेऊ संस्कार की यह परंपरा चली आ रही है। यज्ञोपवीत संस्कार करनेवाले आचार्य हरि नारायण आर्य ने कहा कि ऐसा किसी शास्त्र में नहीं लिखा गया कि कन्याएं जनेऊ धारण नहीं कर सकती हैं। लेकिन कुछ कारणों से इस पर रोक है। पर इन छात्राओं ने उसका हल निकाल रखा है। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष वसंत पंचमी के दिन जनेऊ संस्कार होता है, जिसमें छात्राएं वैदिक परंपरा अनुसार जनेऊ धारण करती हैं।
1972 से चली आ रही है यह परंपरा
लड़कियों की जनेऊ संस्कार विद्यालय में 1972 से चली आ रही है। आचार्य सिदेश्वर शर्मा ने बताया कि आचार्य विश्वनाथ सिंह ने इस विद्यालय की स्थापना की थी। आचार्य के चार बेटियां थीं, जिनका नाम मंजू, उषा, गीता व मीरा है। आचार्य ने स्थापना के प्रथम वर्ष के वसंत पंचमी के दिन अपनी चारों बेटियों का जनेऊ संस्कार कर दिया। तब से वसंत पंचमी के दिन यह परंपरा विद्यालय में चली आ रही है।