BSP के लिए कैसे खतरे की घंटी है चंद्रशेखर की जीत
उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर लोगों की निगाहें सबसे ज्यादा टिकी हुई थीं, उनमें से एक 'नगीना लोकसभा सीट' भी थी।
केटी न्यूज़/नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं।उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर लोगों की निगाहें सबसे ज्यादा टिकी हुई थीं, उनमें से एक 'नगीना लोकसभा सीट' भी थी। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के ओम कुमार का सीधा मुकाबला आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार चंद्रशेखर आजाद से था।यह सीट I.N.D.I.A. के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी के हिस्से में आई थी और उसने मनोज कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था। वहीं, इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने भी सुरेंद्र पाल सिंह को चंद्रशेखर से मुकाबले के लिए उतारा था।
कांशीराम के नाम पर मायावती की पूरी राजनीतिक विरासत टिकी हुई है, चंद्रशेखर ने उन्हीं कांशीराम को अपना आदर्श बनाया और अपनी पार्टी का नाम आजाद समाज पार्टी रखा। वह मायावती के दलित वोट बैंक, जिस पर वह यूपी में अपना अधिकार रखने का दावा करती थीं, उसी में सेंध लगा दी। मायावती का खिसकता वोट बैंक और चंद्रशेखर की चुनावी कामयाबी बीएसपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। आकाश आनंद ने लोकसभा चुनावों की शुरुआत में कुछ माहौल बनाने में कामयाबी हासिल की थी, लेकिन उनके पर ही कतर दिए गए।
2009 से 2024 के बीच मायावती का वोट बैंक का आंकड़ा तेज़ी से खिसका है।2009 के लोकसभा चुनावों में BSP को यूपी में 27.42 प्रतिशत वोट मिले थे और पार्टी ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2014 के चुनावों में पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली लेकिन उसने 19.77 फीसदी वोट मील थे। 2019 में मायावती ने सपा के साथ गठबंधन किया और 19.43% वोटों के साथ 10 सीटों पर जीत दर्ज की। लेकिन 2024 के चुनावों में BSP को मात्र 9.39 फीसदी वोट मिले और वह एक भी सीट नहीं जीत पाई।