NOTA वोटर्स के लिए ,सुप्रीम कोर्ट का ECI को नोटिस
शिव खेड़ा की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी तैयार हो चुका है, क्योंकि उसने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया है।
केटी न्यूज़/दिल्ली
शुक्रवार, 26 अप्रैल सुप्रीम कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया।यह नोटिस उस याचिका पर जारी किया गया जिसमें किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणामों को रद्द करने और किसी के भी पक्ष में अधिकतम वोट नहीं पड़ने पर नए सिरे से चुनाव कराने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
दिल्ली के रहने वाले 'शिव खेड़ा नाम' के याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई । जिसमें NOTA को प्रत्याशी मानने और निर्विरोध चुनाव पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी तैयार हो चुका है, क्योंकि उसने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया है।
क्या होता है नोटा
NOTA मतलब 'नन ऑफ द अबव' यानी इनमें से कोई नहीं।यह वोटिंग का ऐसा विकल्प है, जो चुनावी मैदान में खड़े किसी भी उम्मीदवार को प्राथमिकता नहीं देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आसान भाषा में कहा जाए तो कोई मतदाता चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं देना चाहता है तो उसके पास NOTA का चयन करने का विकल्प होता है। चुनाव नतीजों के दौरान इन वोटों को गिना भी जाता है।
याचिका में कहा गया है किसी भी प्रत्याशी के खिलाफ अगर दूसरा कोई प्रत्याशी पर्चा नहीं दाखिल करता या पर्चा वापस ले लेता है तो भी निर्विरोध नहीं घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव के समय ईवीएम में नोटा का भी विकल्प है।याचिका में मांग की गई है कि अगर किसी उम्मीदवार को नोटा से भी कम वोट मिलते हैं तो उसे किसी भी चुनाव लडने से 5 साल तक की रोक लगाई जाए। नोटा को भी एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर प्रचारित किया जाए।नोटा मतदाता के हाथ में एक शक्तिशाली हथियार है।
शिव खेड़ा की ओर से पेश 'वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण' ने उस मामले का हवाला दिया जहां भाजपा के सूरत उम्मीदवार को बिना किसी चुनाव के विजेता घोषित कर दिया गया था क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज कर दिया गया था और अन्य उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। याचिकाकर्ता ने कहा 'हमने सूरत में देखा कि चूंकि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था, इसलिए सभी को केवल एक ही उम्मीदवार के लिए जाना पड़ा'।