शिष्य के आगे बढ़ने पर ही गुरू शिष्य परंपरा में गुरू की पूजा सफल होगी : कुलपति
महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर में बुधवार को महर्षि विश्वामित्र मुनि की प्रतिमा का अनावरण के मौके पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी भी पहुंचे। इस दौरान उत्तरायणी गंगा तट अवस्थित महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि और भगवान श्री राम की शिक्षा-दीक्षा की पावन भूमि बक्सर महर्षि विश्वामित्र मुनि की भव्य व आकर्षक प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- बोले कुलपित... आज पटना विश्वविद्यालय से आगे है वीकेएसयू
- महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में महामुनि विश्वामित्र के प्रतिमा का कुलपति ने किया अनावरण
केटी न्यूज/बक्सर
महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर में बुधवार को महर्षि विश्वामित्र मुनि की प्रतिमा का अनावरण के मौके पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी भी पहुंचे। इस दौरान उत्तरायणी गंगा तट अवस्थित महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि और भगवान श्री राम की शिक्षा-दीक्षा की पावन भूमि बक्सर महर्षि विश्वामित्र मुनि की भव्य व आकर्षक प्रतिमा का अनावरण किया गया।
वैदिक मंत्रोच्चार व विधिवत पूजा अर्चना के साथ स्थापना एवं अनावरण समारोह का आयोजन किया गया। इस क्रम में वीकेएसयू के कुलपति प्रो. (डॉ) शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी, कुलसचिव प्रो. (डॉ.) रणविजय कुमार के साथ डुमरांव राज परिवार के बहादुर चन्द्रविजय सिंह एवं एमवी कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) सुबाष चन्द्र पाठक ने वाराणसी के प्रख्यात पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा व हवन के बीच महर्षि विश्वामित्र मुनि की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा में गुरू की पूजा तभी सफल मानी जाती है, जब शिष्य भविष्य में आगे बढ़े। यही कारण परशुराम की पूजा नहीं होती है, वहीं, गुरु के रूप में आज भी द्रोणाचार्य की पूजा की जाती है। उन्होंने बताया कि द्रोणाचार्य के शिष्य जब तक अर्जुन के हाथ में शस्त्र है
उसे कोई हरा नहीं सकता है। वहीं, भगवान श्रीराम देवता थे और भारितीय स्मिता के द्योतक के गुरु विश्वामित्र थे। बताया जाता है कि एक वर्ष पूर्व अयोद्धा में श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की भव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। जिसके आलोक में एक वर्ष पूरे होने पर उक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
विश्वविद्यालय ने 12 साल में 16 वाइस चांसलर देखें :
कुलपति ने कहा कि बक्सर का इतिहास बहुत पुराना है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना 1992 में हुई थी। कई मामलों में विश्वविद्यालय ऐतिहासिक रहा है। विश्वविद्यालय ने 12 साल में 16 वाइस चांसलर देखें। पहले वीकेएसयू के सत्रों का संचालन काफी देर से होता था, लेकिन अब कई मामलों में पटना विश्वविद्यालय को भी वीकेएसयू भोजपुर ने पीछे छोड दिया है। जब कहीं नामांकन नहीं होता था तो छात्र आकर नामांकन विश्वविद्यालय में लेते थे। बिहार के विकास में बक्सर का अहम योगदान है, जिसे हमलोग बरकरार रखें।
कार्यक्रम में वीकेएसयू के सिनेट सदस्य संतोष तिवारी, सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, डॉ. नवीन शंकर पाठक, डॉ. प्रियरंजन, डॉ. पंकज कुमार चौधरी, डॉ. विरेन्द्र कुमार, डॉ. अनुराग कुमार, डॉ. रास बिहारी शर्मा, डॉ. सुजीत कुमार यादव, डॉ. सैकत देबनाथ, डॉ. रवि प्रभात, बिरेन्द्र कुमार पांडेय, शैलेन्द्र नाथ पाठक, दयाशंकर तिवारी, डॉ. अमित कुमार मिश्रा, शिवम भारद्वाज, राजीव रंजन कुमार, टुनटुन मिश्रा इत्यादि के साथ अन्य सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी, छात्र -छात्राएं एवं शहर के गणमान्य व्यक्ति आदि मौजूद रहे।