सादा जीवन उच्च विचार के अप्रतिम उदाहरण थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय - डॉ राजेश सिन्हा
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति में सादा जीवन उच्च विचार के अप्रतिम उदाहरण थे। मेधावी छात्र,कुशल संगठक,प्रखर वक्ता,लेखक, विचारक,दार्शनिक और इन सबसे बढ़कर एक उत्कृष्ट मानवतावादी के रूप में उनकी पहचान सदा अमर रहेगी। राजस्थान के धनकियां नामक स्थान पर 25 सितंबर 1916 को जन्म लेने वाले पंडित जी के सर से सात वर्ष की आयु में ही माता-पिता का साया उठ गया।
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केटी न्यूज/बक्सर
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति में सादा जीवन उच्च विचार के अप्रतिम उदाहरण थे। मेधावी छात्र,कुशल संगठक,प्रखर वक्ता,लेखक, विचारक,दार्शनिक और इन सबसे बढ़कर एक उत्कृष्ट मानवतावादी के रूप में उनकी पहचान सदा अमर रहेगी। राजस्थान के धनकियां नामक स्थान पर 25 सितंबर 1916 को जन्म लेने वाले पंडित जी के सर से सात वर्ष की आयु में ही माता-पिता का साया उठ गया। ननिहाल में पालन पोषण के पश्चात दीनदयाल जी उच्च शिक्षा के लिए कानपुर आएं और यहीं 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। तब से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक दीनदयाल जी किसी एक विचारधारा से अंत तक अनवरत जुड़े रहे।
जीवन पर्यंत किसी एक विचारधारा से जुड़ा रहना एक प्रकार से वैचारिक तपस्या कहीं जा सकती है,और पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक वैचारिक तपस्वी थे।संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई।1952 में कानपुर में आयोजित जनसंघ के प्रथम अधिवेशन में उपाध्याय जनसंघ के महामंत्री बने। इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किये। डॉ० मुखर्जी उनके कार्य कुशलता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा कि "यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूँ।
1967 तक उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे।11 फरवरी 1968 को मुगलसराय स्टेशन पर प्रातः पौने चार बजे सहायक स्टेशन मास्टर को खंभा नं० 1276 के पास कंकड़ पर पड़ी हुई लाश की सूचना मिली। शव प्लेटफार्म पर रखा गया तो लोगों की भीड़ में से एक व्यक्ति चिल्लाया- "अरे, यह तो जनसंघ के अध्यक्ष दीन दयाल उपाध्याय हैं।" पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी।
पंडित जी के राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में सबसे अधिक एक ही बात कचोटती रहती थी और वह थी समाज की अंतिम पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति की निर्बलता,कष्ट एवं दुर्दशा। यही कारण था की दीनदयाल जी ने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान को ही अपना जीवन लक्ष्य बना लिया। पंडित जी ने समाजवाद साम्यवाद और पूंजीवाद से इतर एक नये दर्शन एकात्मक मानव दर्शन का प्रतिपादन किया। जिसके केंद्र में व्यक्ति के संपूर्ण विकास की अवधारणा एवं शोषण मुक्त-समता युक्त समाज का निर्माण था।एकात्म मानव दर्शन एक ऐसा दर्शन है जिसका उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना है। जिसके अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो जिससे कि उन संसाधनों की पुनः पूर्ति की जा सके।
आज जब वैश्विक स्तर पर एक बड़ी जनसंख्या गरीबी और साधनहीनता में जीवन व्यतीत कर रही है तब दीनदयाल जी के विचार ही प्रासंगिक हैं। विश्वभर में विकास के कई मॉडल लाए गए लेकिन आशानुरूप परिणाम नहीं मिला। अतः दुनिया को एक ऐसे विकास मॉडल की तलाश है जो एकीकृत और और सर्वसमावेशी हो। एकात्म मानव दर्शन ऐसा ही एक दर्शन है जो अपनी प्रकृति में एकीकृत एवं सर्व समावेशी है। यही कारण है कि आज वैश्विक स्तर पर पनपन वाली तमाम विचारधाराए और दर्शन जहां समाप्ति की ओर हैं वहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का एकात्मक मानव दर्शन शनै: शने: पुष्पित पल्लवित हो रही है।
दीनदयाल जी के संपूर्ण राजनीतिक एवं व्यक्तिगत जीवन में कटनी करनी में पूर्ण समानता रही। उन्होंने राजनीति में सुचिता ईमानदारी कर्तव्य निष्ठा जैसे उच्चतम नैतिक मूल्यों कोना केवल प्रतिपादित किया बल्कि अपने जीवन में भी इनका अक्षरशः पालन किया। दीनदयाल जी का सादा जीवन और उच्च विचार युगों युगों तक तक भारत के असंख्य के लोगों को प्रेरित करता रहेगा।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में व्यक्तिगत स्वार्थ को हावी होने नहीं दिया। ना तो उन्होंने कभी स्वयं की चिंता की और ना ही स्वयं के लिए कुछ किया। लंबे समय तक जनसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के बावजूद भी दीनदयाल उपाध्याय जी व्यक्तित्व अत्यंत सरल और सहज रहा। उनके सादगी पूर्ण जीवन अनेक लोगों के लिए विश्व में का विषय रहा। आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि है। समस्त समाज को उनके जीवन और आदर्शों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।