डुमरांव स्टेशन की अनदेखी पर यात्रियों में रोष

डुमरांव रेलवे स्टेशन एक बार फिर रेल प्रशासन की उपेक्षा का शिकार बन गया है। पूर्व मध्य रेलवे ने चौसा, गहमर और भदौरा जैसे छोटे स्टेशनों पर नई ट्रेनों का ठहराव तो दिया है, लेकिन डुमरांव को नजरअंदाज कर दिया गया। इससे स्थानीय व्यवसायियों और सात प्रखंडों के यात्रियों में गहरी नाराजगी है।

डुमरांव स्टेशन की अनदेखी पर यात्रियों में रोष

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव रेलवे स्टेशन एक बार फिर रेल प्रशासन की उपेक्षा का शिकार बन गया है। पूर्व मध्य रेलवे ने चौसा, गहमर और भदौरा जैसे छोटे स्टेशनों पर नई ट्रेनों का ठहराव तो दिया है, लेकिन डुमरांव को नजरअंदाज कर दिया गया। इससे स्थानीय व्यवसायियों और सात प्रखंडों के यात्रियों में गहरी नाराजगी है।

डुमरांव शाहाबाद की सबसे पुरानी मंडियों में गिना जाता है। यहां से कारोबारियों का आना-जाना पटना, बनारस, कानपुर, दिल्ली, मुंबई, सूरत और कोलकाता तक होता है। स्टेशन से प्रतिदिन नौकरीपेशा लोग, मरीज और ग्रामीण हजारों की संख्या में सफर करते हैं। बावजूद इसके दानापुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस, संघमित्रा एक्सप्रेस, पटना-मुंबई जनता एक्सप्रेस, दानापुर-पुणे एक्सप्रेस और कुंभ एक्सप्रेस जैसी लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव यहां नहीं है।

यात्रियों का कहना है कि मजबूरी में उन्हें बक्सर, आरा या पटना जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती है, जिससे समय और पैसों की दोहरी मार झेलनी पड़ती है। यात्रियों का आरोप है कि करीब 12 करोड़ रुपये सालाना राजस्व देने वाले बी-श्रेणी स्टेशन डुमरांव को रेलवे बार-बार सौतेला व्यवहार कर रहा है। खासकर हैदराबाद, सिकंदराबाद, चेन्नई, सूरत और बेंगलुरू की ओर जाने वाले सैकड़ों कामगारों के लिए यहां से कोई सीधी ट्रेन उपलब्ध नहीं है।

डुमरांव स्टेशन दियरांचल और अनुमंडल के सिमरी, ब्रम्हपुर, राजपुर, जगदीशपुर समेत सात प्रखंडों का मुख्य केंद्र माना जाता है। इसके बावजूद यहां दर्जनों ट्रेनों का ठहराव न होना यात्रियों के लिए बड़ी समस्या है। लोगों का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं हैं। अब यात्री रेल प्रशासन से डुमरांव की महत्ता को समझते हुए प्रमुख ट्रेनों का ठहराव देने की मांग कर रहे हैं।