कही फर्स्ट आइडिया को लाभ पहुंचाने के लिए सांसद ने तो नहीं दिया गया था डीएम को पत्र
जिले के डुमरांव, नावानगर व इटाढ़ी प्रखंडो में कार्यरत हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया डिजीटल एप्लीकेशन पर पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल द्विवेदी की मेहरबानी के बाद बक्सर सांसद सुधाकर सिंह द्वारा शिक्षा विभाग के तीन डीपीओ के संयुक्त जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाया जाना सवालों के घेरे में आ गया है।

-- शिक्षा विभाग के संयुक्त जांच टीम के रिपोर्ट पर सांसद ने उठाए थे सवाल
-- जांच टीम ने हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के चयन को माना था एकरारनामे का उल्लंघन, तीन प्रखंडों में कार्य आवंटन पर जताई थी आपत्ति
केटी न्यूज/बक्सर
जिले के डुमरांव, नावानगर व इटाढ़ी प्रखंडो में कार्यरत हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया डिजीटल एप्लीकेशन पर पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल द्विवेदी की मेहरबानी के बाद बक्सर सांसद सुधाकर सिंह द्वारा शिक्षा विभाग के तीन डीपीओ के संयुक्त जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाया जाना सवालों के घेरे में आ गया है।
सांसद की भूमिका पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि दो मई को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति ( दिशा ) की बैठक में डुमरांव विधायक डॉ. अजित कुमार सिंह ने जिले में हाउस कीपिंग एजेंसियों के चयन व कार्यशैली पर सवाल उठाया था। इसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 24 मई को अपने ज्ञापांक 277 केे द्वारा डीईओ माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान तथा योजना एवं लेखा की एक संयुक्त टीम बना हाउस कीपिंग एजेंसियों के चयन की जांच का जिम्मा सौंपा था।
इस टीम ने चार जून 2025 को अपने जांच रिपोर्ट में जिन तीन हाउस कीपिंग एजेंसियों के चयन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें डुमरांव, नावानगर व इटाढ़ी प्रखंड में कार्यरत हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया डिजिटल एप्लीकेशन के चयन को एकरारनामे का उल्लंघन माना था तथा यह भी सुझाव दिया था कि जो एजेंसी पहले से सूचीबद्ध नहीं है उसे अधिकतम दो प्रखंडो का काम देना चाहिए तथा पहले से सूचीबद्ध एजेंसियां यदि काम करने की इच्छुुक है तो उसे प्राथमिकता देनी चाहिए।
-- नियमों को ताक पर रख किया गया है फर्स्ट आइडिया का चयन
बता दें कि जांच समिति ने जो रिपोर्ट सौंपा था उसके अनुसार नियमों को ताक पर रख हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया का चयन पूर्व डीईओ अनिल कुमार द्विवेदी ने दिया था। बता दें कि फर्स्ट आइडिया से पहले जिले के पांच प्रखंडों में जेकेएसबी स्कील्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का चयन किया गया था। पूर्व डीईओ ने 10 नवंबर 2023 को उक्त एजेंसी के कार्यो से असंतोष जताते हुए से शो-कॉज किया था तथा 24 घंटे में जबाव देने का निर्देश के साथ ही यह चेतावनी दी थी कि क्यों न आपका चयन रद्द कर दिया गया।
जबकि इसके पूर्व छह नवंबर 2023 को ही डीईओ को फर्स्ट आइडिया का सहमति पत्र मिल गया था तथा जेकेएसबी द्वारा जबाव देने से पूर्व ही डीईओ द्वारा 13 नवंबर को फर्स्ट आइडिया एजेंसी को नावानगर, डुमरांव तथा इटाढ़ी प्रखंडो के लिए कार्य आवंटन कर दिया, जबकि इस पत्र पर डीईओ का हस्ताक्षर 11 जून 2023 को ही हो गया था। यहां सवाल उठता है कि जिस एजेंसी का चयन राज्य स्तर पर किया गया था उसे बिना किसी ठोस कारण के हटाए जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा दूसरी एजेंसी से सहमति पत्र कैसे लिया गया तथा शो-कॉज पूछने के अगले दिन ही कार्य आवंटित करने का पत्र कैसे जारी हो गया।
-- 22 नवंबर को सामने आया जेकेएसबी
मामला यही समाप्त नहीं हुआ, बल्कि 22 नवंबर 2023 को पूर्व से चयनित हाउस कीपिंग एजेंसी जेकेएसबी स्कील्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डीईओ को दिए अपने पत्र में यह आरोप लगाया गया कि पूर्व से आवंटित कार्य को कब रद्द किया गया तथा इसकी सूचना मुझे क्यों नहीं दी गई। जेकेएसबी ने अपने पत्र में यह भी जिक्र किया था कि नावानगर में फर्स्ट आइडिया द्वारा उसे काम करने से मना करने के बाद यह जानकारी हुई कि मेरे एजेंसी का चयन रद्द कर दिया गया है। अब यह सवाल गंभीर हो गया है कि बिना एजेंसी का पक्ष जाने उसके चयन को क्यों रद्द किया गया। क्या पूर्व डीईओ अनिल कुमार द्विवेदी जानबूझकर या सांसद सहयोगी अरविंद सिंह तथा अजय सिंह के दबाव में तो आकर नहीं उक्त एजेंसी को आनन-फानन में कार्य आवंटित किए थे।
-- सांसद का पत्र से गहराया शक
तीन डीपीओ की संयुक्त जांच टीम ने अपने जांच रिपोर्ट में सिर्फ फर्स्ट आइडिया के चयन पर ही आपत्ति जताई थी, जबकि अपने पत्रांक 258 दिनांक 17 जून को बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने जिलाधिकारी को पत्र लिख शिक्षा विभाग के अधिकारियों के जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाया था। उन्होंने अपने में जांच रिपोर्ट को संदिग्ध एवं पूर्वाग्रह से ग्रसित माना था। यहां सवाल उठता है कि जांच टीम द्वारा जिन तीन हाउस कीपिंग एजेंसियों के चयन पर अपना मंतव्य दिया था, उसमें सिर्फ फर्स्ट आइडिया के चयन को ही अमान्य माना गया था।
सवाल है कि दिशा की बैठक में भी यह सवाल डुमरांव विधायक ने उठाया था, लेकिन जांच रिपोर्ट पर डुमरांव विधायक के बदले बक्सर सांसद ने जिलाधिकारी को पत्र लिख इसका जांच शिक्षा विभाग के बजाय दूसरे विभाग के अधिकारियों से कराने की मांग कर डाली। जबकि दिशा की बैठक में सांसद ने हाउस कीपिंग एजेंसियों के चयन पर कोई सवाल तक नहीं उठाया था।
फर्स्ट आइडिया की कार्यशैली पर सांसद तथा शिक्षा विभाग में व्यवस्था सुधार की जिम्मेवारी संभाल रहे उनके सहयोगी तथा अजय सिंह की चुप्पी, फर्स्ट आइडिया के खाते से सांसद सहयोगी, उसकी पत्नी समेत चार खातों में लाखों के ट्रांजेक्शन तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की संयुक्त जांच रिपोर्ट पर सांसद द्वारा सवाल उठाया जाना, इस बात के प्रमाण बनते जा रहा है कि हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के तार सिर्फ सांसद सहयोगी तक ही नहीं बल्कि सांसद से भी जुड़ रहे है।
बयान
मैने अपने पत्र में किसी एक एजेंसी का नाम नहीं लिया है। सिर्फ शिक्षा विभाग के जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाया था। मेरी मंशा किसी एजेंसी को लाभ पहुंचाने की नहीं बल्कि व्यवस्था सुधार की है। - सुधाकर सिंह, सांसद, बक्सर