मां महागौरी ने गंगा में क्यों किया था स्नान

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा अर्चना की जाती है।

मां महागौरी ने गंगा में क्यों किया था स्नान
Maa Mahagauri

केटी न्यूज़/दिल्ली

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा अर्चना की जाती है। मां महागौरी की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के सारे बिगड़े काम बन जाते हैं साथ ही विभिन्न प्रकार के रोगों से भी मुक्ति मिलती है।मां महागौरी को कई घरों में अष्टमी के दिन नवरात्रि के व्रत खोले जाते हैं और कन्या पूजन की परंपरा है।

महागौरी की कथा

देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का आहार करती थीं। बाद में माता केवल वायु पीकर ही तप करना आरंभ कर दिया था। तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ है और इससे उनका नाम महागौरी पड़ा। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा। जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं।

मां महागौरी का मंत्र:

1-ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।

2-सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

कैसे करें मां की पूजा

मां का ध्यान करें और उनकी प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।मां को सफेद रंग के वस्त्र, पुष्प चढ़ाएं. रोली कुमकुम लगाएं।मां को मिष्ठान, पंच मेवा, नारियल, फल भोग लगाएं।उन्हें काले चने का भोग भी अवश्य लगाएं।इस दिन कन्या पूजन होता है जिसका विशेष महत्व है।नवरात्रि के आठवे दिन मां महागौरी को भोग में नारियल और चीनी की मिठाई बनाकर चढाने से माता प्रसन्न होती हैं और हर तरह की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।घर धन-संपदा से भर देती हैं।आप नारियल की बर्फी या लड्डू बनाकर मां को अर्पित कर सकते हैं।

पूजा का महत्व

मां महागौरी का ध्यान-स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी है। इनकी उपासना से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं, उपासक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। उसके पूर्व संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं और भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं रहते। इनकी कृपा से आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। ये भक्तों के कष्ट जल्दी ही दूर कर देती हैं एवं इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।