आज है दूसरा नवरात्रा, जाने मां ब्रह्मचारिणी की कथा

शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन 'देवी ब्रह्मचारिणी' को समर्पित होता है। मां का ये रूप तपस्विनी का है।

आज है दूसरा नवरात्रा, जाने मां ब्रह्मचारिणी की कथा
Maa Brahmacharini

केटी न्यूज़/दिल्ली

शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन 'देवी ब्रह्मचारिणी' को समर्पित होता है। मां का ये रूप तपस्विनी का है।ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली।इनका स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है।मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं और श्वेत वस्त्र पहनती हैं।इनकी पूजा के दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है।

 

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में लिया था।तब देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया।मां ने एक हज़ार वर्ष केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और 100 वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था।इस बीच देवी ने वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे।कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया।अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी से कहा- देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की है। तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी।भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे। कुछ दिनों बाद ब्रह्मा के लेख के अनुसार उनका विवाह महादेव शिव के साथ हो गया।

देवी ब्रह्मचारिणी पूजा के लाभ

देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना से अनंत फल की प्राप्ति एवं तप,त्याग,वैराग्य,सदाचार,संयम जैसे गुणों की वृद्धि होती हैं।जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति कभी विचलित नहीं होता।मॉ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती हैं।लालसाओं से मुक्ति के लिए माँ ब्रह्मचारिणी का ध्यान लगाना अच्छा होता हैं।

स्तुति मंत्र

1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां का भोग

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें चीनी या गुड़ का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को  चीनी या गुड़ अर्पित करने से  अकाल मृत्यु का संकट दूर हो जता है। इसके साथ माता रानी दीर्घायु का आशीर्वाद भी देती है।