मां कात्यानी देवी का है आज का दिन

रविवार 14 अप्रैल को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी,क्योंकि नवरात्रि में छठे दिन की अधिष्ठात्री देवी मां कात्यायनी हैं।

मां कात्यानी देवी का है आज का दिन
Katyani Devi

केटी न्यूज़/दिल्लीचै

त्र नवरात्रि  के छठवें दिन यानी रविवार 14 अप्रैल को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी,क्योंकि नवरात्रि में छठे दिन की अधिष्ठात्री देवी मां कात्यायनी हैं।जब पृथ्वी पर असुरों का उत्पात बहुत बढ़ गया था तब ऋषि-मुनियों, समस्त प्राणियों को दुष्ट असुरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए मां आदिशक्ति कात्यायनी स्वरूप मे प्रकट हुई थीं।

मां कात्यानी की कथा

देवी भागवत पुराण में कथा मिलती है कि ऋषि कात्यायन मां आदिशक्ति के परम भक्त थे। उनकी इच्छा थी कि देवी उनकी पुत्री के रूप में उनके घर पधारें। इसके लिए ऋषि कात्यायन ने वर्षों कठोर तपस्या की।इनके तप से प्रसन्न होकर देवी इनकी पुत्री रूप में प्रकट हुई। कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी कहलायीं। सबसे पहले इनकी पूजा स्वयं महर्षि कात्यायन ने की थी। तीन दिनों तक ऋषि की पूजा स्वीकार करने के बाद देवी ने ऋषि से विदा लिया और महिषासुर को युद्ध में ललकार कर उसका अंत कर दिया इसलिए इन्हें महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है।देवी कात्यायनी को ब्रजभूमि की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जाना जाता है। ब्रजभूमि की कन्याओं ने श्रीकृष्ण के प्रेम को पाने के लिए इनकी आराधना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने भी देवी कात्यायनी की पूजा की थी।

 

मा कात्यायनी के पूजा मंत्र 

1-चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना। कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि।

2-या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।

कैसे करें पूजा

मां कात्यायनी की लाल या पीले वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए।माता को पीले फूल और नैवेद्य अर्पित करें। अक्षत-फूल, कुमकुम, सोलह श्रृंगार आदि माता को अर्पित करें।माता का प्रिय भोग शहद-युक्त पान है। मिठाई इत्यादि का भी भोग लगाएँ। इसके बाद दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पाठ करने के बाद घी के दिये से माता की आरती करें।माता को सुगंधित पीले फूल अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं साथ ही प्रेम संबंधी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।पूजा के बाद, देवी कात्यायनी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।