पराली जलाने वाले किसानों पर विभाग सख्त, 25 का निबंधन किया लॉक

रोक के बावजूद पराली जलाने वाले किसानों पर कृषि विभाग सख्त हो गया है। बता दें कि इन दिनों विभाग द्वारा प्रखंड के सभी पंचायतों में पराली प्रबंधन तथा पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित करने के लिए विशेष सर्वेक्षण अभियान चला रही है। इस अभियान के दौरान पराली जलाने के आरोप में चिन्हित किए गए 25 किसानों का निबंधन लॉक कर दिया गया है। अब उन्हें कृषि विभाग से मिलने वाली किसी भी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा।

पराली जलाने वाले किसानों पर विभाग सख्त, 25 का निबंधन किया लॉक

- निबंधन लॉक होने वाले किसानों को नहीं मिलेगी किसी योजना का लाभ

केटी न्यूज/राजपुर

रोक के बावजूद पराली जलाने वाले किसानों पर कृषि विभाग सख्त हो गया है। बता दें कि इन दिनों विभाग द्वारा प्रखंड के सभी पंचायतों में पराली प्रबंधन तथा पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित करने के लिए विशेष सर्वेक्षण अभियान चला रही है। इस अभियान के दौरान पराली जलाने के आरोप में चिन्हित किए गए 25 किसानों का निबंधन लॉक कर दिया गया है। अब उन्हें कृषि विभाग से मिलने वाली किसी भी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा।

इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी शशिरंजन प्रसाद यादव ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर किसानों को डंठल व पराली नहीं जलाने का निर्देश दिया जा रहा है। जिसके लिए कृषि सलाहकार एवं कृषि समन्वयक गांव-गांव में पहुंचकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं। किसानों को बताया जा रहा है कि डंठल व पराली को जलाने के बजाय इसे इकट्ठा कर पशु चारा के रूप में उपयोग करें।

बचे हुए अवशेष को खेतों में ही हैप्पी सीडर अथवा वेस्ट डी कंपोजर का इस्तेमाल कर जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते है। बावजूद किसान जल्दबाजी में खेतों में पड़े डंठल को चोरी चुपके जला रहे हैं, जिसकी निगरानी सेटेलाइट से भी की जा रही है। जिसके जद में आए किसानों का निबंधन रद्द करते हुए अगले तीन साल तक के लिए कृषि संबंधित सभी योजनाओं से वंचित कर दिया गया है।

किसानों का निबंधन लॉक होने से उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, बीज अनुदान, कृषि यंत्रों पर अनुदान के अलावा पैक्स इकाइयों में भी धान की बिक्री नहीं कर सकते हैं। विभाग की इस कार्रवाई से किसानों हड़कंप मच गया है।

वहीं, प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति समाप्त होने के साथ ही पराली के जलने से निकलने वाले धुएं से सांस लेने में तकलीफ, आंख में जलन तथा नाक एवं गले की समस्या बढ़ रही है। जिसका बुरा प्रभाव हमारे जलवायु पर पड़ रहा है। जलवायु में हो रहे परिवर्तन से लगातार फसलों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में किसान सावधानी जरूर बरते तथा धरती को दूषित होने से बचाये। गौरतलब हो कि इससे पूर्व खरीफ मौसम में भी 245 किसानों का निबंधन लॉक किया गया था, बावजूद किसान डंठल जला रहे है।

क्या बोले अधिकारी 

खेत में डंठल जाने से उसके आवश्यक पोषक तत्व नष्ट होते हैं। मिट्टी में रहने वाले कई लाभदायक जीवांश भी समाप्त हो रहे हैं। आग से वायुमंडल भी गर्म हो रहा है। ऐसे में कई बीमारियों की बढ़ने की संभावना होती है। लोगों से अपील है कि खेत में डंठल को नहीं जलाएं, बल्कि वर्षा होने पर पराली का उपयोग जैविक खाद के रूप में करें। --  शशि रंजन प्रसाद यादव, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, राजपुर