एसपी सख्त : सरकारी व गैरसरकारी कार्यालयों मे लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए बनाई कमेटी, शिकायत मिलने पर खैर नहीं
- कार्यालयों तथा अन्य कार्य स्थलों पर लैंगिक उत्पीड़न की जांच करेगी समिति
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर मुख्यायल एसडीपीओ मो असफाक अंसारी को कार्यालयों तथा अन्य कार्यस्थलों पर लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम व शिकायतों की जांच करने वाली कमेटि ’आंतरिक सुरक्षा समित’ का प्रमुख बनाया गया है। एसपी मनीष कुमार ने पिछले दिनों पुलिस पदाधिकारियों के स्थानांतरण के बाद लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए आंतरिक सुरक्षा समित का पुनर्गठन किया हैं। इसके तहत जहां मुख्यालय एसडीओ को इस समिति की कमान सौंपी गई है, वही तेज तर्रार पुलिस पदाधिकारी माने जाने वाले इंस्पेक्टर उमेश चंद्रा, बक्सर महिला थाने की थानाध्यक्ष कंचन कुमारी तथा नगर थाने की एएसआई स्वाति कुमारी को इस समिति में रखा गया है।
एसपी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि बिहार पुलिस मुख्यालय के कार्मिक व कल्याण विभाग द्वारा कार्य स्थलों पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण अधिनियम 2013 के तहत उन सभी कार्यालयों या संस्थाओं में आंतरिक सुरक्षा समिति का गठन किया गया है जहां दस या इससे अधिक व्यक्ति कार्यरत है। हाल ही में जिले के कई वरीय पुलिस पदाधिकारियों का तबादला हो चुका है। जिस कारण पूर्व की समिति में शामिल पुलिस पदाधिकारी दूसरे जिलों में स्थानांतरित हो गए है। इस कारण समिति का पुनर्गठन किया गया है।
लैंगिक उत्पीड़न के शिकायतों की जांच करेगी समिति
एसपी मनीष कुमार ने बताया कि यह समिति लैंगिक उत्पीड़न संबंधित शिकायतों के मिलने के बाद उसकी अपने स्तर से जांच कर उसकी रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की रिपोर्ट पर ही आरोपी पर कार्रवाई तय की जाएगी। समिति के पुनर्गठन के बाद सभी पदाधिकारियों ने कहा कि इस समिति द्वारा पारदर्शी तरीके से महिला कर्मियों के साथ हुए उत्पीड़न मामले की जांच की जाएगी। वही समिति द्वारा किसी भी कार्यस्थल पर महिला कर्मियों के साथ हुए लैंगिक उत्पीड़न की जानकारी के लिए एक टोल फ्री नंबर 181 जारी किया गया है। इस नंबर पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकार कर्मी शिकायत दर्ज करा सकती है। जिसकी जांच समिति द्वारा की जाएगी।
क्या है यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013
संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण, अनुच्छे 15 धर्म, जाति, रंग, लिंग एवं जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकने तथा अनुच्छेद 15 जीवन की स्वतंत्रता और सुरक्षा को प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार निर्धारित करता है। इसी के तहत महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2013 में एक कानूनी अधिकार बनाया गया। जिसे कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष ) अधिनियम 2013 के नाम से जानते है। इसमें महिलाओं के अनुसार होने वाले उत्पीड़न की श्रेणियों तथा दोषी पर सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है। इसमें सरकारी तथा निजी क्षेत्र के संगठन दोनों शामिल है।