किसी डॉक्टर या अस्पताल की फीस तय करने की जिम्मेदारी राज्यों के पास है-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
किसी डॉक्टर या अस्पताल की फीस तय करने की जिम्मेदारी राज्यों के पास है ये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है।सुप्रीम कोर्ट को मंत्रालय को 37 पेज के हलफनामे में जानकारी दी है।
केटी न्यूज़/दिल्ली
किसी डॉक्टर या अस्पताल की फीस तय करने की जिम्मेदारी राज्यों के पास है ये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है।सुप्रीम कोर्ट को मंत्रालय को 37 पेज के हलफनामे में जानकारी दी है।एक मरीज को कितना भुगतान करना चाहिए? यह अस्पताल का प्रकार, शहर और डॉक्टर के अनुभव पर निर्धारित होता है।क्षेत्रीय कारकों के आधार पर इलाज की राशि निर्धारित होनी चाहिए।
दरअसल 'वेटरन्स फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ' ने 2020 में जनहित याचिका दायर करते हुए, देश में इलाज की दरें तय होने की अपील की। जिसे लेकर बीते फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि 'क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट' 2010 के तहत निजी अस्पतालों में उपचार सेवाओं के लिए कीमतों की सीमा क्यों तय नहीं की गई है। जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
इलाज की दरें तय करने से अस्पतालों को वित्तीय रूप से अव्यवहार्य बनाने जैसे गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं।मंत्रालय ने यहां तक कहा है कि किसी भी मूल्य सीमा को तय करने से स्वास्थ्य देखभाल या रोगी उपचार की गुणवत्ता में गंभीर समझौता हो सकता है।
फिलहाल कोर्ट ने इलाज की दरें तय होने को लेकर दाखिल याचिका को स्वीकार किया है। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और प्राइवेट अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया भी शामिल हैं।
मध्य प्रदेश और गुजरात का हवाला देते हुए मंत्रालय ने बताया कि बीते मार्च माह में राज्यों के साथ इस विषय पर चर्चा हुई जिसमें इन दोनों राज्यों ने कहा कि किसी भी दर सीमा को तय करने से गुणवत्ता के साथ समझौता हो सकता है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने भी इसका समर्थन किया है। वहीं पश्चिम बंगाल ने बताया कि उनके यहां 95 फीसदी आबादी को किफायती स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। इसलिए उनके यहां दरें तय करने की आवश्यकता नहीं है।