दो की जान ली लड़के ने पर पिता क्यों जायेंगे जेल! कहीं आप भी तो नहीं करते ऐसी गलती
पिता पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे को बिना वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस के कार चलाने दी। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी पता था कि उनका बेटा शराब पीता है, फिर भी उन्होंने उसे पार्टी में जाने की इजाजत दी।
घटना का विवरण
मृतक अनीष अवधिया और अश्विनी कोस्टा, दोनों 24 वर्ष के थे और मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। दोनों ही पुणे में एक आईटी कंपनी में नौकरी करते थे। हादसे के बाद पुलिस ने 17 साल के नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार किया था, लेकिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने कुछ शर्तों के साथ उसे जमानत दे दी थी। जमानत की शर्तों में 300 शब्दों का एक निबंध लिखने की शर्त भी शामिल थी। इस घटना से लोगों में गुस्सा फूट पड़ा, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया।
पिता पर आरोप
विशाल अग्रवाल, जो एक रियल एस्टेट कारोबारी हैं, पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे को बिना वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस के कार चलाने दी। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी पता था कि उनका बेटा शराब पीता है, फिर भी उन्होंने उसे पार्टी में जाने की इजाजत दी। पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि मंगलवार को विशाल अग्रवाल को छत्रपति संभाजीनगर से गिरफ्तार किया गया और बुधवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।
कानूनी प्रावधान
विशाल अग्रवाल पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 और 77 के तहत केस दर्ज किया गया है। धारा 75 बच्चों के प्रति क्रूरता और धारा 77 बच्चों को नशीले पदार्थों की आपूर्ति करने से संबंधित है। इसके अलावा, नाबालिग लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर-इरादतन हत्या) और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया है।
2019 का संशोधन
2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसमें नाबालिगों के अपराध के लिए माता-पिता, गार्जियन या गाड़ी मालिक की जिम्मेदारी तय की गई थी। मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199A के अनुसार, अगर नाबालिग कोई अपराध करता है तो उसके माता-पिता या गार्जियन को दोषी माना जाएगा। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर तीन साल जेल और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
निर्दोष साबित करने का जिम्मा
ऐसे मामलों में माता-पिता, गार्जियन या गाड़ी मालिक को निर्दोष साबित करने का जिम्मा होता है। उन्हें साबित करना होता है कि नाबालिग ने जो अपराध किया है, उसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था और उन्होंने उसे रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए थे। इसके अलावा, जिस गाड़ी से नाबालिग ने अपराध किया है, उसका रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए रद्द कर दिया जाएगा और 25 साल की उम्र तक नाबालिग को ड्राइविंग लाइसेंस भी जारी नहीं किया जाएगा।
नाबालिग पर सख्त कार्रवाई की मांग
चूंकि आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो सकती। हालांकि, पुलिस ने कोर्ट से नाबालिग पर वयस्क की तरह केस चलाने की अर्जी दाखिल की है, क्योंकि यह एक जघन्य अपराध का मामला बनता है। दिसंबर 2012 में दिल्ली के निर्भया कांड के बाद कानून में संशोधन किया गया था, जिसमें प्रावधान किया गया कि अगर 16 साल या उससे ज्यादा उम्र का कोई किशोर जघन्य अपराध करता है तो उसके साथ वयस्क की तरह बर्ताव किया जाएगा।
अगर आरोपी को नाबालिग मानकर ही मुकदमा चलाया गया, तो उसे तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा जाएगा। लेकिन अगर उसे वयस्क मानकर मुकदमा चलाया जाता है और जेल की सजा होती है, तो उसे 21 साल तक सुधार गृह में रखा जाएगा और इसके बाद ही जेल भेजा जाएगा। हालांकि, नाबालिग को वयस्क मानकर मुकदमा चलाने पर भी उसे मौत की सजा या उम्रकैद की सजा नहीं दी जा सकती।