नगर परिषद की मनमानी से भड़के ग्रामीण, मझवारी मोड़ पर कचरा डंपिंग को लेकर विरोध तेज
डुमरांव नगर परिषद के स्वच्छता अभियान की मनमानी अब गांवों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। शहर का कूड़ा अब ग्रामीण इलाकों में डंप किया जा रहा है, जिससे न केवल स्थानीय पर्यावरण को खतरा है बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी) के दिशा-निर्देशों का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। ताजा मामला भोजपुर-सिमरी पथ स्थित मझवारी मोड़ का है, जहां नगर परिषद के सफाईकर्मियों द्वारा पिछले कई दिनों से कचरा फेंका जा रहा है।

एनजीटी के नियमों की उड़ रही धज्जियां, गांवों की स्वच्छता पर खतरा
केटी न्यूज/सिमरी
डुमरांव नगर परिषद के स्वच्छता अभियान की मनमानी अब गांवों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। शहर का कूड़ा अब ग्रामीण इलाकों में डंप किया जा रहा है, जिससे न केवल स्थानीय पर्यावरण को खतरा है बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी) के दिशा-निर्देशों का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। ताजा मामला भोजपुर-सिमरी पथ स्थित मझवारी मोड़ का है, जहां नगर परिषद के सफाईकर्मियों द्वारा पिछले कई दिनों से कचरा फेंका जा रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि शहर से उठाए गए डोर-टू-डोर कचरे को सुनियोजित तरीके से निस्तारित करने के बजाय उसे गांव के सटे क्षेत्र में, सड़क किनारे डाल दिया जाता है। इससे न केवल दुर्गंध फैल रही है बल्कि आसपास के जल स्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार यह स्थान भोजपुर ताल क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जो कि सार्वजनिक संपत्ति है। एन जी टी के नियमों के अनुसार किसी भी जलस्रोत या सार्वजनिक स्थल के पास कचरा डंप करना प्रतिबंधित है, बावजूद इसके नगर परिषद के सफाईकर्मी लगातार नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं।
बुधवार को ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा जब कचरे से भरी एक गाड़ी फिर से उक्त स्थल पर पहुंची। गुस्साए ग्रामीणों ने न सिर्फ कचरा गिराने से मना किया बल्कि वाहन को बैरंग लौटा दिया। इस दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया और विवाद की सूचना पर सिमरी थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची। पुलिस ने ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत किया, लेकिन ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि यदि दुबारा यहां कचरा डंप करने की कोशिश हुई, तो वे भोजपुर-सिमरी मुख्य पथ को जाम कर देंगे।
ग्रामीणों ने नगर परिषद और उसके द्वारा अधिकृत सफाई एजेंसी पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सफाईकर्मी जब भी रोका जाता है, वे झगड़े पर उतर आते हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने यह जमीन लीज पर ली है, लेकिन कोई वैध दस्तावेज अब तक नहीं दिखाया गया है।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर ग्रामीण अब सिमरी के अंचलाधिकारी (सीओ) और प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) से मिलकर लिखित शिकायत देने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं देता है, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
गांव की स्वच्छ हवा में शहर का कूड़ा जहर घोल रहा है। सवाल उठता है कि आखिर नगर परिषद अपने ही क्षेत्र में कचरा डंप क्यों नहीं करती क्या ग्रामीण क्षेत्रों को डंपिंग यार्ड समझ लिया गया है? यह मामला न केवल पर्यावरणीय संतुलन का है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और नागरिक अधिकारों के हनन का भी है। ग्रामीणों की चेतावनी और बढ़ता आक्रोश नगर परिषद के लिए अब एक बड़ा सवाल बन चुका है।