पुलिस विभाग में मचा हडकंप: , एक्शन में आए एसपी ने 31 एसआई के खिलाफ दर्ज कराया एफआईआर,

बिहार की मधेपुरा पुलिस ने अपने ही 31 पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है। डीजपी विनय कुमार के निर्देश पर हुई इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है। एफआईआर के बाद ऐसे पुलिसकर्मियों के निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है।

पुलिस विभाग में मचा हडकंप: , एक्शन में आए एसपी ने 31 एसआई के खिलाफ दर्ज कराया एफआईआर,

- डीजीपी के निर्देश पर मधेपुरा जिले में हुई कार्रवाई 

केटी न्यूज/पटना 

बिहार की मधेपुरा पुलिस ने अपने ही 31 पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है। डीजपी विनय कुमार के निर्देश पर हुई इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है। एफआईआर के बाद ऐसे पुलिसकर्मियों के निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई की जा सकती है।

डीजीपी के आदेश के बाद मधेपुरा के एसपी ने अपने महकमे को दुरूस्त करने की कवायद शुरू की है। ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो आपराधिक मामलों का अनुसंधान पूरा करने के बजाय फाइल दबा कर ही बैठक गये। उन्हें पहले वार्निग दी गयी थी, फिर भी नहीं संभले।

31 पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर 

दरअसल बिहार के डीजीपी ने आपराधिक मामलों की छानबीन में देरी पर गहरी नाराजगी जतायी है। डीजीपी ने सभी एसपी को ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जो अनुसंधान की फाइल दबा कर बैठे हैं। डीजीपी के आदेश बाद मधेपुरा एसपी ने समीक्षा की तो पुलिस के कारनामे सामने आ गये। आलम ये है कि जिले के सिर्फ थाना सदर थाना की समीक्षा में 31 पुलिस पदाधिकारियों की लापरवाही सामने आई।

आपराधिक मामलों का अनुसंधान करने की जिम्मेवारी जिन अधिकारियों को दी गयी थी, वे 10-12 साल से मामले को दबा कर बैठे थे। एसपी की समीक्षा में इसकी जानकारी मिलने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिन 31 पर एफआइआर किया गया है।

36 केस दबा कर बैठा एक दारोगा

मधेपुरा के सदर थाने में दर्ज एफआईआर की जानकारी देते हुए थानाध्यक्ष विमलेंदु कुमार ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5), 3(5) के तहत एफआईआर संख्या-230/25 दर्ज किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि जिन पुलिस पदाधिकरियों के पास केस लंबित हैं उन्हें कई बार पत्र लिखकर कांड का प्रभार सौंपने या फिर फिर अनुसंधान को पूरा करने को कहा गया लेकिन न तो किसी ने प्रभार सौंपा और न ही केस के निष्पादन की दिशा में कोई कार्रवाई की।

मधेपुरा सदर थाने में 2013 से 2019 तक के करीब सौ एफआईआर ऐसे भी निले हैं, जिनका अनुसंधान अब तक पूरा नहीं हुआ है। केस अभी पेंडिग ही चल रहा है। जिले में एक एसआई है जो कि पूरे 36 केस को दबा कर बैठा है। एसआई महेश कुमार यादव के पास तीन दर्जन से अधिक एफआईआर लंबित है। साल 2013 से लेकर 2017 तक के इन लंबित मामलों का अनुसंधान पूरा नही करने में महेश कुमार यादव के द्वारा कोई रुचि नहीं दिखाई।

इसी तरह एसआइ नन्दकिशोर सिंह के पास एक दर्जन केस पेंडिंग है। कई दूसरे पुलिस अधिकारियों के पास भी दो-चार केस लंबित है। जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया है। उनमें सहरसा यातायात थाना के थानेदार रविश रंजन और सुपौल जिले में थानेदारी कर रहे सियावर मंडल शामिल है।

दरोगा के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

मधेपुरा सदर थाने में जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी है उनमें एसआइ महेश कुमार यादव,  एसआइ रविश रंजन,  एसआइ गोपाल कृष्ण,  एएसआइ विन्देश्वर राम,  एएसआइ प्रेमचन्द्र पासवान, एसआइ सियावर मंडल, एसआइ किशोर कुमार, एसआइ उमेश पासवान, एएसआइ अनिल कुमार सिंह, एसआइ अनंत कुमार, एसआइ पशुपति सिंह, एएसआइ गणेश प्रसाद,  एसआइ महेश कुमार यादव,  एएसआइ विनोद कुमार मिश्रा,  एसआइ राजेश चौधरी, 

एसआइ रामाश्रय शर्मा,  एएसआइ सुभाष चंद्र नारायण,  एसआइ लक्ष्मण राम,  एसआइ अशोक कुमार साह,  एसआइ प्रवीण ठाकुर,  एएसआइ मदन मोहन सिंह,  एसआइ नितेश कुमार, एएसआइ नंदकिशोर सिंह, एएसआइ चंदेश्वर राम,  एसआइ सत्येंद्र नारायण सिंह,  एसआइ सुरेश राम,  एसआइ महेश कुमार रजक, एसआइ पशुराम दास,  एसआइ गंगा सागर, एसआइ रविंद्र प्रसाद सिंह और एसआइ नवीन कुमार सिंह शामिल हैं।