भगवान श्रीराम का जन्म होते ही जयकारों से गूंजा डुमरांव छठिया पोखरा

डुमरांव शहर में पहली बार छठिया पोखरा पर भव्य रामलीला महोत्सव की शुरुआत मंगलवार की शाम हुई। काशी के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा नौ दिवसीय रामलीला मंडल का आयोजन हुआ।

भगवान श्रीराम का जन्म होते ही जयकारों से गूंजा डुमरांव छठिया पोखरा

केटी न्यूज/डुमरांव 

डुमरांव शहर में पहली बार छठिया पोखरा पर भव्य रामलीला महोत्सव की शुरुआत मंगलवार की शाम हुई। काशी के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा नौ दिवसीय रामलीला मंडल का आयोजन हुआ। इसके पूर्व रामलीला का उद्घाटन युवराज शिवांग विजय सिंह, थानाध्यक्ष शंभू भगत, भाजपा नेता सोनू राय, अजय प्रताप सिंह, राजू राय सहित अन्य ने विधिवत फीता काटकर किया। पहले दिन रामलीला में भगवान श्रीराम जन्म लीला का मंचन हुआ।

प्रथम दृश्य में देवताओं द्वारा भगवान विष्णु से पृथ्वी को राक्षसों के अत्याचार से मुक्त करने की प्रार्थना की गई, जिसके बाद राजा दशरथ की संतान न होने की चिंता और गुरु वशिष्ठ के निर्देश पर श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ का आयोजन हुआ। अग्नि देवता द्वारा राजा दशरथ को खीर प्रदान की गई, जिसे खाकर रानियों ने गर्भधारण किया। भगवान राम सहित उनके तीनों भाइयों का जन्म होते ही अयोध्या में खुशी की लहर छा गई, और चारों ओर बधाई गीत गाये गये। राजा दशरथ और तीनों रानियों के दरबार में खुशी छाई तो मंच के सामने बैठे लोगों के चेहरे पर भी खुशी के भाव दिखे।

भय प्रकट पाला दीनदयाला की धुन बजी तो हर कोई झूम उठा। भगवान श्री राम जन्म से पूर्व नारद मोह का मंचन हुआ। विश्वमोहिनी स्वयंवर में अपमानित हुए नारद ने नारायण को कठोर शब्दों में श्राप दिया जो श्रीराम के प्राकट्य का कारण बना। मंच पर नारद मोह के मंचन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भगवान विष्णु ने विश्वमोहिनी स्वयंवर में नारद को बंदर का मुख देकर अहंकार तोड़ा। स्वयंवर के लिए नारद ने विष्णु भगवान का स्वरूप मांगा था लेकिन उन्हें बंदर का मुख दे दिया। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने दशरथ के घर अवतार लेने का वचन दिया। इससे पहले देवताओं ने क्षीर सागर में जाकर भगवान विष्णु से अवतरित होने की प्रार्थना की।