संतान की लंबी उम्र के लिए माताएं करेंगी जिउतिया व्रत
माताएं संतान की दीर्घायु व उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए जिउतिया व्रत करती हैं। इसे जिवित्पुत्रका या जिउतिया व्रत भी कहा जाता है।
केटी न्यूज/डुमरांव
माताएं संतान की दीर्घायु व उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए जिउतिया व्रत करती हैं। इसे जिवित्पुत्रका या जिउतिया व्रत भी कहा जाता है। इस बार जिले में 25 सितंबर को जिउतिया व्रत मनाया जाएगा। आचार्य पंडित आदित्य तिवारी ने बताया कि यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। 25 सितंबर को व्रत करना बहुत ही शुभ रहेगा। इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रहती हैं। अगले दिन व्रत का पारण करती हैं। इस साल व्रत का पारण 26 सितंबर की सुबह सूर्याेदय के बाद होगा। जिउतिया व्रत में छठ की तरह ही नहाय-खाय और खरना किया जाता है। तीसरे दिन इस व्रत का पारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिउतिया व्रत के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त उठकर स्नान-ध्यान करती हैं। व्रत के दिन सूर्याेदय से पहले फल, मिठाई, चाय, पानी आदि का सेवन किया जा सकता है। इसके बाद अगले दिन सूर्याेदय तक निर्जला व्रत किया जाता है। इसके बाद अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दौरान चावल, मरुवा की रोटी, और नोनी का साग खाने का प्रचलन है। आचार्य ने बताया कि जिउतिया व्रत पर भगवान जीमूतवाहन की पूजा का विधान है, जो असल में एक गंधर्व राजकुमार थे। एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा जीमूतवाहन ने अपने साहस और सूझबूझ से एक मां के बेटे को जीवनदान दिलाया था। तब से उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाने लगा और माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए जीवित पुत्रिका नामक व्रत रखने लगीं।