भगवान वामन मंदिर में मना दीपोत्सव, जले 1100 दीप
- देवोत्थान एकादशी पर भगवान वामन चेतना मंच के तत्वावधान में आयोजित हुआ था कार्यक्रम
केटी न्यूज/बक्सर
गुरूवार को देवोत्थान एकादशी पर नगर के सुमेश्वर स्थान स्थित वामन भगवान मंदिर में दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर कुल 1100 दीप जलाए गए। यह आयोजन भगवान वामन चेतना मंच के तत्वावधान आयोजित किया गया था। जिसका शुभारंभ सोशल एक्टिविस्ट ध्यान योग गुरु वर्षा पांडेय ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने व संचालन संजय ओझा ने किया। गंगा किनारे स्थित भगवान वामन के मंदिर में एक हजार एक सौ दीपक जलाएं गए। दीपोत्सव के दौरान पूरा मंदिर परिसर दीपों की झिलमिल रौशनी से नहा उठा था। इस दौरान वर्षा पांडेय ने कहा कि भगवान विष्णु चार माह के योग निद्रा से देवोत्थान एकादशी के दिन ही जगते हैं। इस दिन तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। इसके बाद सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। तुलसी की विशेष पूजा की जाती है। इसकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। उन्होंने कहा कि तुलसी अपने आस-पास के वातावरण शुद्ध बनाती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। आंगन में तुलसी का पौधा लगाने से वास्तु दोष भी दूर होते हैं। इस दौरान छविनाथ त्रिपाठी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत पूजा अर्चना और आरती की गई। श्रद्धालुओं के जय घोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। दीपोत्सव के बाद भजन कीर्तन का का आयोजन किया गया। वही अंत में भगवान वामन को जेल परिसर से मुक्त कराने की मांग की गई। गौरतलब है कि देवोत्थान एकादशी का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है।
मान्यता है कि सृष्टि के पालक भगवान विष्णु जब अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जगते है तो वे फिर से सृष्टि का संचालन शुरू करते है। यही कारण है कि इस दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरू होते है। मौके पर रणधीर ओझा, संजय ओझा, प्रमोद चौबे, मनोज तिवारी, अजय चौबे, मनोज दूबे, अवधेश चौबे, धनंजय मिश्र, सरोज तिवारी, अभिषेक ओझा, प्रकाश पांडेय, गिरीश कुमार द्विवेदी, अखिलेश पांडेय, सुशील पांडेय, आशुतोष चतुर्वेदी समेत कई अन्य मौजूद थे वही देवोत्थान एकादशी पर तुलसी पूजन कर महिलाओं ने की सुख समृद्धि की कामना
वही केसठ प्रखंड मे भी धूमधाम मनंया गया तुलसी पूजन
प्रखंड मुख्यालय व ग्रामीण इलाकों में गुरुवार को देवोत्थान एकादशी का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर परंपरागत तरीके से तुलसी विवाह व तुलसी पूजन धूमधाम के साथ किया गया। जहां महिलाओं ने व्रत रख कर विशेष पूजा-अर्चना की और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। तुलसी विवाह को लेकर महिलाएं सुबह से ही तैयारियों में जुटी हुई थीं। पूजा में विशेष तौर पर गन्ना या मूली से तुलसी पौधे को विशेष रूप से सजाया गया। वहीं श्रृंगार सामग्री भी चढ़ाई गई। साथ ही लाल चुनरी,
प्रसाद, गन्ना व दीपक जला कर पूजन विधि संपन्न कर घर में सुख शांति की कामना की गई। कहीं-कहीं मंदिरों में स्थित तुलसी विवाह पूजन कर कथा भी सुनाई गई। जहां व्रत रखने के महत्व के बारे में भी बताया गया। मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जगते है। इस दिन तुलसी पूजन व तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। वही पूर्णिमा के दिन भी तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।