कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कैटफिस प्रजनन व पालन की विधि

कृषि महाविद्यालय में कैटफिश प्रजनन एवं पालन को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष कुमार कॉलेज के प्राचार्य डा. रिजयाज अहमद संयुक्त व नोडल पदाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त कृषि वैज्ञानिक डॉ सुदय प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया।

कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कैटफिस प्रजनन व पालन की विधि
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केटी न्यूज/डुमरांव    

कृषि महाविद्यालय में कैटफिश प्रजनन एवं पालन को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष कुमार कॉलेज के प्राचार्य डा. रिजयाज अहमद संयुक्त व नोडल पदाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त कृषि वैज्ञानिक डॉ सुदय प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया। वैज्ञानिक ने बताया कि किसानों की आय समृद्ध करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में बामेती की तरफ से चयनित 40 किसानों और 10 की संख्या में मौजूद एटीम और बीटीएम प्रशिक्षुओं को कैटफिश प्रजनन एवं पालन का प्रशिक्षण दिया गया।

किसानों को संबोधित करते हुए जिला मत्स्य पदाधिकारी ने बताया कि कैटफिश प्रजनन एवं पालन एक उभरता हुआ व्यवसाय है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है। इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। किसानों को बताया गया कि कैटफिश के प्रजनन के लिए नियंत्रित वातावरण आवश्यक है। इसमें नर और मादा मछलियों की पहचान, सही अनुपात में चयन, और प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार करना शामिल है। उन्हें यह भी सिखाया गया कि कृत्रिम प्रजनन (हॉर्माेन इंजेक्शन) कैसे किया जाता है, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले अंडे प्राप्त किए जा सकें। 

आयोजन में 10 जिलों के किसान प्रशिक्षण प्राप्त करने पहुंचे थे जिनमें शाहाबाद, गया, अरवल, सारण, सीवान और पटना सहित अन्य जिलों के किसान मौजूद रहें।नोडल पदाधिकारी सह कृषि वैज्ञानिक डॉ सुदय प्रसाद ने बताया कि कैटफिश पालन में जल की गुणवत्ता, तापमान और ऑक्सीजन स्तर का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण में किसानों को जैविक एवं कृत्रिम चारे के उपयोग, मछलियों की वृद्धि दर की निगरानी, और बीमारियों की पहचान एवं रोकथाम के तरीकों के बारे में जानकारी दी गई।

किसानों को बताया गया कि कैटफिश एक तेज़ी से बढ़ने वाली मछली है, जो कम समय में अच्छी उत्पादन क्षमता देती है। इसे स्थानीय और बाहरी बाजारों में बेचा जा सकता है, जिससे किसानों को अधिक लाभ हो सकता है। इस प्रशिक्षण से किसानों को आत्मनिर्भर बनने और जल स्रोतों का सही उपयोग करने और अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिलेगा। पदाधिकारियों ने बताया कि किसानों की आय समृद्ध बनाने को लेकर यह ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।