दुर्लभ ब्लैक बग को संरक्षित करने के लिए 25 एकड़ के भूभाग पर बनेगा बिहार का पहला मृग अभ्यारण
पूर्व डीएम की पहल पर नावानगर के बारालेव मौजा में चिन्हित जमीन को बियाडा ने वन विभाग को किया हस्तांतरित
वन विभाग काले हिरणों, हिरणों व नीलगायों के संरक्षण के लिए जल्द शुरू कराएगा निर्माण, मिलेगा अनुकूल माहौल
केटी न्यूज/डुमरांव
दुर्लभ काले हिरणों ( ब्लैक बग ) के साथ ही सामान्य हिरणों तथा नीलगाय जैसे शाकाहारी जंगली जानवरों के अनुकूल माहौल में संरक्षण की कवायद शुरू हो गई है। नावानगर के बारालेव मौजा में बियाडा के 25 एकड़ के भूभाग पर जल्द ही वन विभाग अभ्यारण निर्माण शुरु कराएगा। इस मामले में बक्सर के पूर्व डीएम अमन समीर के पहल पर राज्य सरकार अभ्यारण निर्माण की स्वीकृति दे चुकी है। जिसके बाद उद्योग विभाग ने भी बारालेव मौजा में पूर्व डीएम द्वारा अभ्यारण के लिए
चिन्हित किए गए 25 एकड़ के उक्त भूभाग को वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया है। माना जा रहा है कि वन विभाग जल्दी ही अभ्यारण की घेराबंदी व निर्माण शुरू कराएगी। जिसमें हिरणों, ब्लैक बग तथा नीलगायों जैसे जंगली जानवरों के अलावे अन्य शाकाहारी आवारा पशुओं का संरक्षण प्राकृतिक माहौल में होगा। अभ्यारण निर्माण के दौरान वन विभाग
उनके अनुकूल वातावरण तथा आश्रय के साथ ही भोजन की समुचित व्यवस्था का ध्यान भी रखेगा। इस अभ्यारण में हिरण, काले हिरण व नीलगाय जैसे जानवर स्वच्छंद रूप से विचरण कर सकते है। अभ्यारण बनने के बाद यह पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा।
नावानगर में काले हिरणों को देख 2 साल पहले पूर्व डीएम ने दिया था प्रस्ताव
बता दें कि नावानगर में बियाडा की कुल 491 एकड़ जमीन है। 24 फरवरी 2021 को बक्सर के तत्कालीन डीएम अमन समीर उक्त जमीन का निरीक्षण करने नावानगर गए थे। इस दौरान उन्होंने नावानगर में बड़ी संख्या में हिरणों व नीलगायों के झूंड तथा काले हिरणों को भी देखा। जिसके बाद उनके मन में दुर्लभ श्रेणी में शामिल काले हिरणों के संरक्षण की
बात आई तथा उन्होंने आथर के पास स्थित बारालेव मौजा के 25 एकड़ के भूभाग का चयन अभ्यारण निर्माण के लिए किया तथा राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा। जिस पर राज्य सरकार की स्वीकृति मिल चुकी है तथा बियाडा ने उक्त जमीन भी वन विभाग को हस्तांतरित कर दी है। अब वन विभाग जल्दी ही इस पर अभ्यारण का निर्माण शुरू कराएगा।
जंगली जानवरों के संरक्षण के साथ ही किसानों को भी मिलेगा लाभ
बता दें कि इस अभ्यारण के निर्माण से हिरण व नीलगाय जैसे जंगली जानवरों का जहां संरक्षण होगा वही किसानों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। बता दें कि हिरण, नीलगाय तथा अन्य आवारा पशुओं द्वारा हर साल बड़े पैमानें पर फसलों को निवाला बनाया जाता है। जिससे किसानों को बड़ा नुकसान होता है। खून पसीने की कमाई जानवरों का निवाला बनने से किसानों में
गहरा आक्रोश रहता था। लेकिन अब अभ्यारण निर्माण के बाद जंगली जानवर जहां स्वच्छंद वातावरण में विचरण कर सकेंगे वही दूसरी तरफ किसानों की फसलें भी बच जाएगी। अभ्यारण निर्माण की बात सामने आते ही वन्य जीव प्रेमियों तथा इलाकाई किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
हिरणों के संरक्षण के लिए उद्योग विभाग के द्वारा नावानगर में 25 एकड़ जमीन वन विभाग को दी गई है। यहां काले हिरणों को संरक्षित करके रखा जाएगा वहां हिरनों के अनुकूल माहौल भी बनाया जाएगा ताकि प्राकृतिक माहौल में उनका संरक्षण हो सके। पर्यावरण में संतुलन के लिए जीव जंतुओं का संरक्षण जरूरी है।