विडंबना: कैसे मिलेगी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रतिनियुक्ति पर हैं जिले के सैकड़ों शिक्षक
राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने की बात करते हैं। वहीं, पहले से ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी झेल रहे बच्चे, अब प्रतिनियुक्ति का भी दंश झेल रहे हैं। क्योंकि, जिले के विभिन्न विद्यालयों के 100 से भी अधिक शिक्षक अपनी प्रतिनियुक्ति किसी सरकारी या राजस्व कार्यालय में करा कर, स्वयं को शैक्षणिक कार्यों से दूर कर लिया है।
- अनुमंडल, प्रखंड व अंचल कार्यालय में कई शिक्षकों ने करायी है अपनी प्रतिनियुक्ति
- दर्जनों शिक्षक 10 साल से प्रतिनियुक्ति की आड़ में बन बैठे हैं मठाधीश
केटी न्यूज/बक्सर
राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने की बात करते हैं। वहीं, पहले से ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी झेल रहे बच्चे, अब प्रतिनियुक्ति का भी दंश झेल रहे हैं। क्योंकि, जिले के विभिन्न विद्यालयों के 100 से भी अधिक शिक्षक अपनी प्रतिनियुक्ति किसी सरकारी या राजस्व कार्यालय में करा कर, स्वयं को शैक्षणिक कार्यों से दूर कर लिया है। जिसका हरजाना इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उठानी पड़ रही है। अपनी पहुंच व पैरवी के बल पर ये शिक्षक जिले के सभी सरकारी कार्यालय मसलन अनुमंडल, प्रखंड व अंचल कार्यालय में प्रतिनियुक्ति करा कर अन्य कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं। जिससे न केवल विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य से भी खेला जा रहा है।
कई विभागों के कार्यालयों में भी प्रतिनियुक्ति पर हैं कई शिक्षक
नाम न लिखने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि बक्सर व डुमरांव अनुमंडल कार्यालय के अलावा शिक्षक प्रखंड व अंचल जैसे कार्यालयों में अपनी प्रतिनियुक्ति कर सालों से वहां जमा है। कई शिक्षक तो प्रतिनियुक्ति अवधि 10 से 12 की हो चुकी है। शिक्षा विभाग की सख्ती पर महज एक सप्ताह के लिए प्रतिनियुक्ति टूटती है और पुन: प्रतिनियुक्ति शुरू हो जाती है। जिसके कारण उक्त शिक्षक प्रतिनियुक्ति स्थल के मठाधीश बन गए हैं। हालात यह हो चुके हैं कि उन शिक्षकों को शिक्षक नहीं उक्त कार्यालय के कर्मचारी मानते हैं। वहीं, ऐसे शिक्षकों का हाल यह हो चुका है कि अब वो पढ़ाना भी भुल चुके हैं। अभी हाल ही में सदर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा के कार्यालय में एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति चुनाव कार्य के लिए की गई है। उक्त शिक्षक अपनी नियुक्ति से लेकर अब तक एक भी बार चुनाव ड्यूटी में नहीं लगे हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जारी किया था निर्देश
वर्ष 2023 में माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने प्रतिनियुक्ति का खेल रोकने के लिए आदेश दिए थे। जिसमें उन्होंने अपने मूल विद्यालय या कार्यालय से इतर शिक्षकों या कर्मचारियों के प्रतिनियोजन पर सख्ती के साथ रोक लगा दी थी। उन्होंने सख्ती के साथ निर्देश दिया था कि अगर कोई शिक्षक और कर्मचारी पहले से कहीं प्रतिनियुक्ति हैं तो उसे भी अपने मूल विद्यालय या कार्यालय अनिवार्य रूप से लौटना होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों को दिए निर्देश में स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों के प्रतिनियोजन, पदस्थापन या स्थानांतरण पर तत्काल पूरी तरह रोक लगी रहेगी। इस प्रकार शिक्षा विभाग के किसी कर्मचारी से विभाग के ही किसी दूसरे कार्यालय में काम नहीं लिया जा सकेगा।
नियमित अवधि के लिए ही की जाती है यिाक्षकों की प्रतिनियुक्ति
किसी भी शिक्षक की प्रतिनियुक्ति प्रशासनिक विभाग की मांग के अनुसार की जाती है। जो एक नियमित अवधि के लिए की जाती है। कार्य पूरा होने के बाद प्रतिनियुक्ति स्थल/कार्यालय उन्हें मुक्त कर सकता है। फिलवक्त भी अनुमंडल व अन्य कार्यालयों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। वहीं, लंबे अवधि से प्रतिनियुक्ति पर गए शिक्षकों की खास जानकारी नहीं है। इस मामले की जांच कराई जाएगी। - विष्णुकांत राज, डीपीओ स्थापना, शिक्षा विभाग, बक्सर