नवरात्र के तीसरे दिन विधिवत हुई मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना, भक्तिमय रहा महौल

शारदीय नवरात्र में घर-आंगन से लेकर मंदिरों तक में सुबह पौ फटते ही भगवती की पूजा-अर्चना शुरू हो जा रही है और रात्रि आरती के बाद ही थम रही है

- अड़हुल का फूल, नारियल और चुनरी-सिंदूर चढ़ाकर भक्त होते रहे शरणागत

केटी न्यूज/डुमरांव 

शारदीय नवरात्र में घर-आंगन से लेकर मंदिरों तक में सुबह पौ फटते ही भगवती की पूजा-अर्चना शुरू हो जा रही है और रात्रि आरती के बाद ही थम रही है। लोग अपने घरों में कलश की पूजा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के बाद मंदिरों में मत्था टेकने व पूजा करने पहुंच रहे हैं।  इधर, शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन देवी मंदिरों में माता रानी के तीसरे स्वरुप मां चंद्रघंटा की विधि-विधान से शनिवार को पूजा-अर्चना की गई। सुबह से ही माता के दरबार में पहुंच रहे श्रद्धालु मां को अड़हुल का फूल, नारियल व चुनरी-सिंदूर चढ़ाकर शरणागत हो रहे थे। आचार्य आदित्य तिवारी बतातें हैं कि मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जानते हैं। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि यह भोग लगाने से मां दीर्घायु होने का वरदान देती हैं। इनके पूजन-अर्चन से व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है। मां चंद्रघंटा के वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और यह हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को तेज और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। आचार्य ने बताया कि देवी चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दस भुजाओं वाली देवी प्रत्येक हाथ में अलग-अलग शस्त्र से सुशोभित हैं। उनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित है। यद्यपि वह दुष्टों पर अत्याचार करने और उन्हें नष्ट करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, फिर भी उनका रूप देखने वाले और उपासक के लिए सौम्यता और शांति से भरा रहता है। वे भक्तों के कष्टों का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। सिंह इनका वाहन है।