सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा, पति की दीर्घायु के लिए रखा व्रत
सोमवार को वट सावित्री व्रत रखकर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए कामना की। सुहागिन महिलाएं शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित वट वृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं। इसके बाद विधिवत पूजा किया। सबसे पहले वट वृक्ष को हल्दी का लेप लगाया। फिर पीला धागा को लपेटते हुए सात बार परिक्रमा की। इसके बाद जल अर्पण किया। पूजन के बाद महिलाओं ने व्रत को खोला।

केटी न्यूज/डुमरांव
सोमवार को वट सावित्री व्रत रखकर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए कामना की। सुहागिन महिलाएं शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित वट वृक्ष के नीचे एकत्रित हुईं। इसके बाद विधिवत पूजा किया। सबसे पहले वट वृक्ष को हल्दी का लेप लगाया। फिर पीला धागा को लपेटते हुए सात बार परिक्रमा की। इसके बाद जल अर्पण किया। पूजन के बाद महिलाओं ने व्रत को खोला।
सुबह से ही महिलाओं ने पूजन-अर्चन शुरू कर दिया था। वट वृक्ष का वर्णन धार्मिक शास्त्रों, वेदों और पुराणों में किया गया है। एक ओर जहां वट वृक्ष को भगवान शिव का रूप माना जाता है, वहीं दूसरी ओर पद्म पुराण में इसे भगवान विष्णु का अवतार कहा गया है। विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं, जिसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की रक्षा और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं
और वट वृक्ष के चारों ओर धागा बांधकर परिक्रमा करती हैं। इसका बहुत महत्व बताया जाता है। कहा जाता है कि माता सावित्री अपने कठिन तप से अपने पति के प्राण यमलोक से वापस लाईं थी। तभी से इसे वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है। विवाहित महिलाओं का कहना है कि इस दिन वे वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना करती हैं, परिक्रमा करती हैं और अपने वैवाहिक सुख की रक्षा और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
आचार्य पं. विंध्याचल ओझा ने बताया कि पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सौभाग्य के लिए सुहागिनें यह व्रत करतीं हैं।सोमवार को अमावस्या होने से व्रती महिलाओं को सोमवती अमावस्या का पुण्य भी प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि इस व्रत के करने से सुहागिनों के पतियों के अशुभ और हानिकारण ग्रह शांत होते हैं। इसलिए हर पतिव्रता महिलाओं को यह व्रत अनिवार्य रूप से करना चाहिए।