कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ महाकालेश्वर प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ
रघुनाथपुर के तुलसी आश्रम स्थित महाकालेश्वर प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के लिए शुक्रवार को गाजे बाजे, रथ, घोड़े, शिव पार्वती, लक्ष्मी गणेश और राम सिया की झांकी के साथ भय कलश यात्रा निकाली गई।
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- गाजे-बाजे व हाथी-घोड़े के साथ निकला था कलश यात्रा, शामिल हुए सैकड़ो श्रद्धालु
केटी न्यूूज/ब्रह्मपुर
रघुनाथपुर के तुलसी आश्रम स्थित महाकालेश्वर प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के लिए शुक्रवार को गाजे बाजे, रथ, घोड़े, शिव पार्वती, लक्ष्मी गणेश और राम सिया की झांकी के साथ भय कलश यात्रा निकाली गई।
राष्ट्रीय संत स्वामी सिद्धार्थ परमहंस जी की उपस्थिति में तुलसी आश्रम रघुनाथपुर से बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर तक यह जलभरी शोभा यात्रा निकाली गई थी। जिसकी अगुवाई यज्ञाचार्य के अलावे साधु संत कर रहे थे। उनके पीछे श्रद्धालु नर-नारि शुभ्र वस्त्रों में अपने सर पर कलश ले कतारबद्ध हो जा रहे थे।
महायज्ञ परिसर से निकली यह कलश यात्रा रघुनाथपुर गांव, रेलवे स्टेशन आदि होते हुए बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ के दरबार में पहुंचा, जहां पवित्र शिव गंगा सरोवर से कलश में जलभर कर पुनः यज्ञ स्थल पहुंच कलश यात्रा संपन्न हुआ।
शोभा यात्रा का नेतृत्व राष्ट्रीय संत स्वामी सिद्धार्थ परमहंस जी कर रहे थे। उनके साथ काशी और अयोध्या से आए विद्वान पंडितों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार से मुख्य कलश की पूजन के पश्चात जलभरी के लिए शोभायात्रा निकाला गया। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार से इलाके का माहौल भक्तिमय बन गया था।
शोभा यात्रा में गाजे बाजे, हाथी, घोड़े, रथ के साथ साथ शिव पार्वती, लक्ष्मी गणेश तथा राम सिया की झांकी भी निकाली गई। शिव जी की झांकी के पीछे उनके रुद्र गणों की टोली चल रही थी, उसके पीछे परम्परागत तरीके से कीर्तन करने वाली मंडली थी।
शोभायात्रा में हजारों की संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं के सम्मिलित हुए। जलभरी शोभायात्रा में देश भर से आए अनेक विद्वान, संत महात्मा, कथावाचक, संगीतज्ञ, सत्संग मर्मज्ञ, मनीषी भी सम्मिलित हुए। 22 फरवरी को अरणि मंथन व हवनादि के साथ महायज्ञ का विधिवत शुभारंभ हो जाएगा।
26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन विग्रह की विशेष पूजा के साथ नवनिर्मित भव्य मंदिर में महाकालेश्वर विराजमान होंगे और मंदिर का दरवाजा भक्त जनों के लिए खोल दिया जाएगा। महाकाल विग्रह की स्थापना के लिए मंदिर में विशेष गौमुखी अरघा भी बनाया गया है। महायज्ञ में शिवपुराण की कथा कहने के लिए कई विद्वान आचार्यों को बुलाया गया है। 27 फरवरी को महारुद्र भंडारा के साथ आयोजन का समापन होगा।
महायज्ञ को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों द्वारा पूरे उत्साह के साथ तैयारी शुरू कर दी गई है। खासकर स्थानीय गांव के युवाओं द्वारा इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पिछले एक पखवाड़े से श्रमदान किया जा रहा है। युवाओं के द्वारा ही
मुख्य प्रवचनकर्ता के अलावे अन्य साधु-संतों की कुटिया बनाई गई है। जहां साधु संतों का जमावड़ा लग गया है। यज्ञ स्थल पर वैदिक मंत्रोच्चार, मांगलिक गीतों तथा जयकारे से इलाके में भक्ति रस की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है।