स्मार्ट मीटर के विरोध में राजद कार्यकर्ताओं ने दिया धरना सौंपा ज्ञापन
राज्य सरकार ने वर्ष 2019 से ही लोगों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू कर दिया है। 2025 तक उसका लक्ष्य लगभग 2 करोड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रखंड कार्यालय में धरने के दौरान बताया गया कि मार्च 2025 तक 2 करोड़ लगाना है स्मार्ट मीटर
केटी न्यूज़/ डुमरांव
रोहणी कुमारी को ज्ञापन सौंपा राजद नेता
राज्य सरकार ने वर्ष 2019 से ही लोगों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू कर दिया है। 2025 तक उसका लक्ष्य लगभग 2 करोड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है। धरना पर बैठे नेताओं का कहना था कि स्मार्ट मीटर लगाने की सरकार क सोंची-समझी साजिश है। इसी के तहत उसने बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को विखंडित कर दिया ताकि इसे मार्केट ड्राईवेन पॉलीसी से जोड़ा जाए और प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाया जाए। इसी को लेकर जबरन लोगों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। इसमें अडानी सॉल्युशन प्रा. लि. एंव नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी भी शामिल है।
इसी करार के तहत 2 करोड़ स्मार्ट मीटर राज्य में लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। इसका करार नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीव्यूशन लि. कं. से किया गया है। इस समय उपभोक्त पुराने मीटर से अधिक बिल का भुगतनान करने पर मजबूर हैं। इससे उनका घरेलू बजट तक गड़बड़ा गया है। मालूम हो कि बिहार में 2.76 करोड़ हाउस होल्ड हैं। स्मार्ट मीटर के खराबी के कारण इन उपभोक्ताओं से 100 रूपया भी अधिक की वसूली होती है तो लगभग 276 करोड़ प्रति महीनें व प्रति वर्ष 3 हजार 312 करोड़ रूपये निजी कंपनियों को अलग से मुनाफा होगा। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार किस तरह से निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है। नेताओं का कहना था कि इसबार राज्य सुखाड़ जैसे प्राकृतिक आपदा का सामना किया है। खेत सूखे पड़े हैं, किसान परेशान है, लेकिन सरकार को उससे कोई लेना-देना नहीं है। इन परिस्थितियों में किसानों को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए थी, जबकि उन्हें मात्र 8 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इतना ही नहीं 4 रूपये प्रति यूनिट की दर से दूसरे राज्यों को बिजली बेची जा रही है। नेताओं का कहना है कि अपने किसानों को बिजली कम देकर लगभग 52 सौ मिलियन यूनिट बिजली यानि 22 सौ करोड़ रूपये से अधिक की बिजली राज्य के बाहर बेच दी गई है। किसानों के मांग के अनुसार उन्हें बिजली मिलती तो उनकी फसल लहलहाती जिससे उन्हें तो फायदा होता ही सरकार को भी लाभ मिलता। यह सोंचने की बात है कि एक तरफ सरकार बिजली को बेच रही है तो दूसरी तरफ दूसरे राज्यों से खरीद भी रही है। नेताओं ने कहा कि एक साल के भीतर सरकार 323 करोड़ की बिजली खरीद चुकी है। वहीं उपभोक्ताओं को 5 रूपया 80 पैसा से लेकर अधिकतम 10 रूपये प्रति यूनिट के दर से बिजली आपूर्ति करायी जा रही है, अचंभित करने वाला है। नेताओं का कहना था कि बिहार जैसे गरीब प्रदेश में सर्वाधिक स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। यह प्रक्रिया पहले से ही बेरोजगारी और मंहगाई की मार झेल रही जनता को आनावश्यक आर्थिक बोझ की तरफ धकेल रहा है। राजद राज्य के गरीब जनता के साथ खड़ा है। नेताओं ने कहा कि राजद मांग करता है कि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाय। जनता की परेशानियों को समझते हुए थर्ड पार्टी रिव्यू कमिटी का गठन किया जाए ताकि स्मार्ट मीटर की प्रासंगिकता और उसकी खामियों को समझा जाए। धरने में मुख्य रूप से समाजसेवी व राजद के वरिष्ठ नेता श्रीकांत सिंह यादव खिलेश कुमार सिंह, मनोज कुमार ठाकुर, मेंहदी हसन, जगनारायण सिंह, इस्लाम अंसारी, भगवानजी सिंह यादव, बंगाली यादव, कृष्ण बहादूर, रविरंजन, धर्मेन्द्र यादव, बिन्दे पासवान, अमित दूबे, संजय यादव, शिवशंकर पासवान, मेराज खां, रमेश तिवारी आशोक यादव, अलीम हाशमी, धनजी यादव, लाबाबू यादव सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल रहे।