रक्षा बंधन पर खुले रहे स्कूल, लेकिन नहीं पहुंचे छात्र, शिक्षकों ने काली पट्टी बांध जताया विरोध

रक्षा बंधन पर खुले रहे स्कूल, लेकिन नहीं पहुंचे छात्र, शिक्षकों ने काली पट्टी बांध जताया विरोध
काली पट्टी बांधकर बिरोध करते शिक्षा

रक्षा बंधन पर खुले रहे स्कूल, लेकिन नहीं पहुंचे छात्र, शिक्षकों ने काली पट्टी बांध जताया विरोध

- डायट में प्रशिक्षु शिक्षकों ने भी काली पट्टी बांध लिया प्रशिक्षण

- शिक्षा विभाग द्वारा रक्षाबंधन, जन्माष्टमी समेत त्योहारों की छुट्टिया कर दी गई है रद्द

केटी न्यूज/डुमरांव

 रक्षाबंधन के दिन खुला सरकारी मध्य विद्यालय महावीर चबूतरा

शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक द्वारा रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दुर्गापूजा, छठ सहित कई प्रमुख त्योहारों की छुट्टियां रद्द किए जाने के बाद गुरूवार को रक्षाबंधन के दिन जिले के प्राइमरी से लेकर प्लस टू तक के सभी विद्यालय खुले रहे। शिक्षक भी स्कूलों में पूरे दिन मौजूद थे। लेकिन किसी भी विद्यालय में छात्र नहीं पहुंचे थे। वही दूसरी तरफ शिक्षक संगठनों ने

                  रक्षाबंधन के दिन क्लास में उपस्तित शिक्षक

सरकार के इस फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। शिक्षकों ने काली पट्टी बांध विभाग के इस फैसले का विरोध किया। शिक्षक संघ बिहार के प्रखण्ड इकाई के मीडिया प्रभारी उपेन्द्र पाठक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए मुख्यमंत्री से अविलम्ब हस्तक्षेप करने की मांग की है। संघ के जिला प्रतिनधि संजय सिंह ने कहा कि छुट्टियों में कटौती तुगलकी फरमान ही नहीं है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का भी हनन है।

    रक्षाबंधन के दिन खाली पड़ा क्लास मे बेठै शिक्षक

स्कूलों में पूर्व से श्री कृष्ण जन्माष्टमी , हरतालिका तीज, जीवित्पुत्रिका व्रत की छुट्टियों को समाप्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं दुर्गापूजा एवं छठ के अवसर पर 8-8 दिनों की निर्धारित छुट्टी को खत्म करते हुए मात्र एक और दो दिन की छुट्टी दी गयी है। इससे पूरा शिक्षक समाज आक्रोशित है। अनुमंडल अध्यक्ष नवनीत कुमार ने कहा कि यहां की महिलाएं तीज व्रत करती है

और दिन रात उपवास रहकर रात्रि में जागरण भी करती है जिसकी अनदेखी करना सरासर गलत है। प्रखण्ड अध्यक्ष कमलेश पाठक ने कहा कि अगर सरकार इन छुट्टियों को पुनः लागू नहीं करती है तो राज्य भर में कार्यरत 60 प्रतिशत से अधिक महिला शिक्षिकाओं की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन होगा जिसके लिये सरकार जिम्मेवार होगी। शिक्षक नेता पूर्णानन्द मिश्र ने कहा की

महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती है और यह व्रत भी पूर्णतः निर्जला होता है और ऐसे कठिन त्योहार की छुट्टी रद्द कर देना तानाशाही का परिचायक है। शिक्षक नेत्री अनिता यादव ने कहा कि अगर सरकार यह आदेश वापस नही लेती है तो शिक्षक सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे इसकी सारी जवाबदेही सरकार की होगी।